नई दिल्ली। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में जीएम चावन का कोई व्यावसायिक किस्म नहीं होती है और यहां जीएम चावल की खेती पूरी तरह से प्रतिबंधित है। ऐसे में भारत से जीएम चावल के निर्यात का सवाल ही नहीं उठाता है। मीडिया में भारत से जीएम चावल को कथित रूप से वापस मंगाने से संबंधित समाचार आने के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है। इससे जुड़े समाचारों का प्रकाशन, दुनिया में गुणवत्तापूर्ण चावल के एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि बिगाड़ने की एक साजिश हो सकती है।
भारत में जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के विशेषज्ञ और आईएआरआई के कृषि विशेषज्ञ व भारत में अन्य चावल विशेषज्ञ इस मामले की जांच कर रहे हैं, फिर भी इस बात की पुष्टि की जाती है भारत में चावल की जीएम किस्म पैदा नहीं की जाती है।
यूरोपीय संघ द्वारा त्वरित अलर्ट के माध्यम से दी गई एक विशेष घटना की खबर में चावल के आटे में जीएमओ के पाए जाने का संदेह है, जिसे ईयू में प्रसंस्कृत किया जाता है और उन्हें खुद दूषित पदार्थ के वास्तविक स्रोत का पता नहीं है। भारत से सफेद चावल के टुकड़े का निर्यात किया गया है, जिसके कथित रूप से ईयू में वास्तविक प्रोसेसर के पास तक पहुंचने से पहले कई जगहों से गुजरने की संभावनाएं हैं।
इस दौरान, हर चरण पर मिलावट या दूषित पदार्थों के मिलने की हमेशा ही संभावना रहती है। हालांकि, निर्यातक ने इस बात की पुष्टि की है कि निर्यातित चावल नॉन जीएमओ था और अंतर्देशीय पारगमन के दौरान भी इसमें दूषित पदार्थों के मिलने की संभावना बेहद कम होती है, क्योंकि बंदरगाह पर अंतिम नमूना लेने वाली स्वतंत्र निरीक्षण एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली होती है जो लदान से पहले पर्याप्त परीक्षण और सत्यापन के बाद ही नॉन जीएमओ प्रमाणन जारी करती है। अगर कोई प्रदूषित पदार्थ मिले हैं तो अंतिम उत्पाद तैयार करने के दौरान टूटे हुए चावल के प्रसंस्करण के दौरान इसकी संभावना हो सकती है।
सरकार ने कहा है कि चूंकि, भारत में जीएम की कोई व्यावसायिक किस्म नहीं है, माल के लदान से पहले जरूरी परीक्षण भी किया जाता है। इसलिए, भारत द्वारा सफेद चावल के निर्यात के कारण जीएमओ मिलावट की संभावना नहीं है। भारत दुनिया में पूर्ण रूप से नॉन जीएमओ चावल का निर्यात कर रहा है।