नई दिल्ली। इंडियन पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी ग्रुप (इन्पोग) के साथ नेशनल सोसायटी फॉर चाईल्डहुड कैंसर, कैनकिड्स किडस्कैन द्वारा सपोर्टेड एक हालिया अध्ययन में सामने आया कि भारत में हॉजकिन लम्फोमा (एचएल) के शुरुआती चरण में कैंसर से पीड़ित बच्चों में ईवेंट-फ्री सर्वाईवल (ईएफएस) और ओवरऑल सर्वाईवल (ओएस) क्रमश: 94 प्रतिशत और 95.5 प्रतिशत हैं। ये विकसित देशों के तुलनात्मक परिणाम हैं।
लम्फोमा एक आम कैंसर है। भारत में हर साल मिलने वाले लगभग 80,000 मामलों में से करीब 4800 मामले हॉजकिन लम्फोमा के होते हैं। यह कैंसर लिम्फ में शुरू होता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है और शरीर को संक्रमण व बीमारी से लड़ने में मदद करता है। यह मुख्यत: छाती, गले और बांह के नीचे होता है। बीमारी बढ़ने पर यह खून में पहुंच जाता है और शरीर के दूसरे हिस्सों, जैसे लिवर, फेफड़ों और/या बोन मैरो में भी फैल सकता है। बच्चों में यह आम तौर से 10 से 19 साल के आयु समूह में शीर्ष पर होता है। यह लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा आम है। भारत में इससे पीड़ित होने वाले पुरुषों व महिलाओं का अनुपात 4.5:1 है। भारत में इससे पीड़ित होने वाले बच्चे ज्यादा छोटे यानि 5 साल से कम उम्र के होते हैं।
इस अध्ययन में 30 महीनों की अवधि में 27 केंद्रों से 410 मरीजों ने हिस्सा लिया। उनमें से 134 को बीमारी शुरुआती चरण में थी और 53 लोगों की बीमारी गंभीर थी। डायग्नोसिस के बाद 52 महीनों की माध्य अवधि में, 5 साल का ईवेंट-फ्री सर्वाईवल (ईएफएस) और ओवरऑल सर्वाईवल (ओएस) क्रमश: 94 प्रतिशत और 95.5 प्रतिशत था। इलाज से संबंधित मॉर्टलिटी एवं एबैंडनमेंट 1 प्रतिशत से कम थे।
अध्ययन से साबित कर दिया कि एवीबीडी प्रोटोकॉल के साथ भी, विकसित देशों के तुलनात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। चेयर ऑफ इनपोग वर्किंग ग्रुप, एचएल एवं अध्ययन के मुख्य अन्वेषक डॉ. अमिता महाजन ने कहा, ‘‘अध्ययन में यह भी सामने आया कि आईएपी और डब्लूएचओ से विरोधी दिशानिर्देश मिलने के बाद भी, एचएल पीड़ित लगभग एक तिहाई मरीजों को अनुभव के अनुरूप ट्यूबरकुलोसिस का इलाज मिलता रहेगा। इनपोग और कैनकिड्स एडवांस्ड बीमारी से पीड़ित लोगों में परिणामों में सुधार के लिए काम कर रहे हैं।’’ एबीवीडी प्रोटोकॉल्स ने इसके विलंबित प्रभावों के बारे में चिंताओं को बढ़ाया है। हाल ही में आईआरसीएच एम्स के डॉ. समीर बख्शी द्वारा प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में एबीवीडी प्रोटोकॉल के दूरगामी विषाक्त प्रभावों और दूरगामी प्रभावों का आंकलन किया गया।
एबीवीडी प्रोटोकॉल के तहत इलाज प्राप्त करने वाले 154 पीडियाट्रिक सर्वाईवर्स 10 साल की अवधि के लिए कार्डियेक पल्मोनरी एवं थॉयराईड फंक्शन तथा दूसरी बीमारियों के लिए नजर में रखे गए। अध्ययन के परिणाम प्रदर्शित करते हैं कि एबीवीडी 10 साल के छोटे फौलोअप में बच्चों के लिए सुरक्षित है।
सितंबर-लम्फोमा जागरुकता माह के अवसर पर कैनकिड्स ने पहली फाईट हॉजकिन लम्फोमा इंडिया स्टेकहोल्डर मीटिंग का आयोजन किया ताकि फाईट एचएल इंडिया - 2025 एवं 2030 का विज़न परिभाषित हो उसका मसौदा तैयार किया जा सके। इस वेबिनार में 250 से ज्यादा डॉक्टर, सिविल सोसायटी सदस्य, अभिभावक एवं हॉजकिन लम्फोमा के सर्वाईवर मौजूद थे। इसमें एक्सेस2केयर की चुनौतियां व बाधाएं और दूरगामी प्रभावों की चिंताएं उठाई गईं और हॉजकिन लिम्फोमा के मरीजों के लिए यूनिवर्सल सर्वाईवल परिणाम प्राप्त करने के लिए योजनाओं व रणनीतियों पर चर्चा की गई।