चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस विधायक दल की आज सायं पांच बजे यहां बैठक बुलाये जाने से पार्टी में गत कुछ माह से चला आ रहा राजनीतिक संकट और गहरा गया है। बैठक में भाग लेने के लिये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक अजय माकन और हरीश चौधरी यहां पहुंच गये हैं। पार्टी के प्रदेश मामलों के प्रभारी हरीश रावत के भी कुछ देर में यहां पहुंचने की सम्भावना है। प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के बीच गत कुछ माह से चले आ रहे टकराव के चलते प्रस्तावित बैठक में मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने की अटकलें भी प्रबल हो गई हैं।
उल्लेखनीय है कि कैप्टन अमरिंदर की कार्यशैली को लेकर विधायकों और मंत्रियों में पहले से ही काफी आक्रोश व्याप्त है जिसके बारे में सिद्धू अनेकों बार पार्टी हाईकमान को बता और उससे दिल्ली में बैठक कर चुके हैं। विधायकों और मंत्रियों का आरोप है कि अनिवार्य कामों के लिये भी मुख्यमंत्री से मिलना बेहद मुश्किल है। उधर राज्य में विधानसभा चुनावों के ऐन पहले पार्टी में मचा यह घमासान उसे भारी पड़ सकता है। राज्य सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन का जनता के बीच गलत संकेत भी जा सकता है। इससे पहले रावत ने कल ट्वीट कर कहा था कि प्रदेश के पार्टी विधायकों ने पार्टी हाईकमान को पत्र लिख कर विधायक दल की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है जिसे देखते हुये 18 सितम्बर सायं पांच बजे यह बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया था। सिद्धू ने भी अपने ट्वीट में इसकी पुष्टि की थी।
इस बीच कैप्टन अमरिंदर ने भी बैठक से पूर्व अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने प्रताप सिंह बाजवा, गुरप्रीत औजला समेत अनेक सांसदों और समर्थक विधायकों से बातचीत की है। उन्होंने सोनिया गांधी समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं से भी बातचीत की है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने को कहा गया है लेकिन इसकी किसी जिम्मेदार नेता ने पुष्टि नहीं की है। बताया जाता है कि कैप्टन ने मती गांधी को यह सूचित कर दिया कि उन्हें पद हटाया जाना अपमान होगा जिसे वह कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे। वह पार्टी तक छोड़ सकते हैं। इस बीच अटकलें हैं कि बैठक में भाग लेने से पहले ही मुख्यमंत्री राजभवन जाकर राज्यपाल से मिल सकते हैं।
दूसरी ओर सिद्धू भी अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक में अपनाई जाने वाली रणनीति को लेकर मंत्रणा कर रहे हैं। उनके साथ सरकार के तीन-चार मंत्री भी हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता कैप्टन के खिलाफ लामबंद होकर सिद्धू के साथ आ गये हैं।