मुंबई। कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बांझपन का उपचार करने वाले चिकित्सा संस्थान इंदिरा आईवीएफ ने, आईवीएफ तकनीक(इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के माध्यम से 85,000 महिलाओं को माँ बना कर इतिहास रच दिया है। इंदिरा आईवीएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक, डॉ। क्षितिज मुर्दिया ने शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इंदिरा आईवी एफ आईवीएफ (कृत्रिम गर्भाधान) के माध्यम से पिछले लगभग 10 वर्षों में 85,000 सफल गर्भधारण कराने की उपलब्धि को हासिल करने वाली भारत का पहला संस्थान है।
उन्होंने कहा कि संस्थान ने चिकित्सा विशेषज्ञों, भ्रूणविज्ञानियों और तकनीकी दक्षता, के कारण यह सफलता पायी है। उन्होंने कहा कि हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है। 43 साल पहले 1978 में 25 जुलाई को पहले आईवीएफ बच्चे का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि इंदिरा आईवीएफ 700 से अधिक शहरों में 2100 से अधिक जागरूकता शिविर आयोजित कर चुका है ताकि इस विषय से जुड़ी चर्चाओं को सामान्य रूप दिया जा सके। इंदिरा आईवीएफ के देश भर में 96 केंद्र हैं, और यह संस्थान सबसे दूरस्थ स्थानों में भी बांझपन का एक सुलभ समाधान प्रदान करता है।