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निर्माण कार्य लोगों की सुविधा के लिए न कि संसद को लेकर : केंद्र

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 12 2021 12:03AM | Updated Date: May 12 2021 12:15AM
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान मध्य दिल्ली राजपथ और इसके आस पास हो रहा निर्माण सेंट्रल विस्टा के लिए नहीं बल्कि शौचालय ब्लॉक, पार्किंग स्थल तथा राहगीरों के अंडरपास जैसी जन सुविधाओं के वास्ते हो रहा है। 

न्यायालय कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के बीच सेंट्रल विस्टा के सभी निर्माण कार्यां पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है। 

केंद्र के हलफनामे में कहा गया है, ‘‘परियोजना के लिए कार्य का दायरा वह नहीं है जिसे बोलचाल की भाषा में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहा जाता है।’’ याचिकाकर्ता अन्या मल्होत्रा और सोहेल हाशमी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के परिपत्र का उल्लंघन किया गया है क्योंकि केवल आपातकाल या आवश्यक सेवाओं को लॉकडाउन के दौरान अनुमति दी जाती है।

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी निर्माण गतिविधियों को बंद करना होगा सिवाय उन सभी को छोड़कर जहां मजदूर कार्यस्थल पर रहते हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि करोल बाग, कीर्ति नगर और सराय काले खां से बस के जरिए विस्टा परियोजनाओं के मजदूरों को लाया और वापस भेजा जाता है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने मामले को बुधवार के लिए स्थगित कर दिया क्योंकि केंद्र सरकार का जवाब रिकॉर्ड नहीं हो सका था। अदालत ने इससे पहले कोई आदेश पारित किए सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख मुकर्रर की थी। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने हालांकि हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए आग्रह करने का छूट दी थी।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर, जिसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के निवास शामिल होंगे, कई कार्यालयों के सरकारी भवन और मंत्रालय के कार्यालयों को समायोजित करने के लिए एक केंद्रीय सचिवालय, राजपथ क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों में पुनर्निर्माण किया जाएगा। शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की बेंच ने पांच जनवरी को परियोजना को हरी झंडी दी थी। इसके साथ ही भूमि के उपयोग और पर्यावरण नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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