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तमिलनाडु, UP, दिल्ली के हिस्से की Vaccine राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र से कम मिली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 11 2021 7:27PM | Updated Date: May 11 2021 7:33PM
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उत्तर प्रदेश, दिल्ली तमिलनाडु जैसे राज्यों को राजस्थान, गुजरात महाराष्ट्र की तुलना में जरूरत से कम वैक्सीन मिल रही है। यह बात एकीकृत प्रतिभूति कंपनी एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कही। एमके ग्लोबल ने एक रिपोर्ट में कहा कि उसके अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु दिल्ली जैसे राज्यों को वैक्सीन का हिस्सा उनकी जरूरत से कम मिल रहा है, जबकि राजस्थान, गुजरात महाराष्ट्र को अपेक्षाकृत अधिक प्राप्त हो रहा है। 

एमके ग्लोबल के अनुसार, यह निष्कर्ष आबादी के घनत्व, शहरी-ग्रामीण अनुपात, सक्रिय मामलों, मृत्युदर अन्य मापदंडों के आधार पर भारित वितरण उपाय की दृष्टि से राज्य हिस्सेदारी का आकलन कर निकाला गया। कंपनी ने कहा कि आदर्श रूप से, वैक्सीन का वितरण राज्यों की जनसंख्या के अनुसार किया जाना चाहिए। 

पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री 7.62 करोड़ की आबादी वाले राज्य तमिलनाडु के संसद सदस्य अंबुमणि रामदॉस के अनुसार, उनके राज्य को 72 लाख वैक्सीन का आवंटन हुआ, जबकि 6.94 करोड़ जनसंख्या वाले गुजरात को 1.39 करोड़ वैक्सीन मिली 6.66 करोड़ की आबादी वाले कर्नाटक को 1.06 करोड़ टीके मिले।

रामदॉस ने कहा कि दूसरी ओर, राजस्थान में 7.88 करोड़ की आबादी है, जहां तमिलनाडु से मात्र 26 लाख लोग ज्यादा हैं, उसे 1.42 करोड़ वैक्सीन मिली। एमके ग्लोबल के अनुसार, आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों/जिलों को प्राथमिकता देना सामाजिक रूप से उचित लगता, क्योंकि मानव जीवन के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाना चाहिए।

एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि बिना अपव्यय के टीकाकरण की कुल लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 0.6-0.7 प्रतिशत होगी, जिसमें से राज्यों में सकल घरेलू उत्पाद का 0.25 प्रतिशत निजी क्षेत्र का 0.4 प्रतिशत होगा। जीडीपी के प्रतिशत के हिसाब से केंद्र सबसे कम लागत वहन करता है।

एमके ग्लोबल ने कहा, "माना जाता है कि (1) राज्य सरकारें निजी क्षेत्र क्रमश: 18-44 18 से कम आयु वर्ग की 60 प्रतिशत 40 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के बोझ को साझा करते हैं, (2) केंद्र प्रत्येक राज्य में 45 वर्ष से अधिक उम्र वाली आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है बाकी निजी क्षेत्र के जिम्मे है।" राज्यों के लिए, टीकाकरण का राजकोषीय बोझ उनकी आबादी 45 वर्ष आयु वर्ग के लिए वितरण के हिसाब से अलग-अलग होगा।

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