नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते ग्राफ के साथ Remdesivir इंजेक्शन मरीजों को नहीं मिल रहा है। अस्पतालों में इंजेक्शन उपलबध न होने की वजह से अस्पताल प्रबंधन मरीज के तिमारदार से इंजेक्शन की व्यवस्था करने को कहता है। तीमारदार इंजेक्शन के लिए मेडिकल स्टोर के चक्कर लगाता है, क्योंकि उसे यह पता नहीं होता है कि इंजेक्शन खुले बाजार में नहीं मिलता है। आखिर कोरोना से बचाने वाले इस इंजेक्शन की कमी आचानक क्यों हो गई, क्या वजह है कि Remdesivir इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हो गई है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री मनसुख मंडविया ने न्यूज18 हिन्दी से बात करते हुए इसका कारण बताया। केन्द्रीय राज्य मंत्री बताया कि 6 अप्रैल से पहले Remdesivir इंजेक्शन की देश में मांग नहीं थी। इस वजह से देश में Remdesivir इंजेक्शन बनाने वाली सात कंपनियों में से केवल दो कंपनियां कुल क्षमता का 20-20 फीसदी ही प्रोडक्शन कर रही थीं। करीब 8 हजार इंजेक्शन का रोजाना प्रोडक्शन हो रहा था। अचानक मांग बढ़ने किल्लत शुरू हो गई है, इसके बाद सरकार ने सभी कंपनियों के साथ बैठकर समीक्षा की और पूरी उन्हें क्षमता के साथ प्रोडक्शन करने के निर्देश दिए।
इस तरह रोजाना इन सभी कंपनियों की 20 यूनिट में 1।5 लाख Remdesivir इंजेक्शन शुरू हो चुका है। कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आउटसोर्स कर या नई यूनिट लगाकर प्रोडक्शन बढ़ाएं। मनसुख मंडविया ने बताया कि इंजेक्शन की मांग को देखते हुए 20 नई कंपनियों को Remdesivir इंजेक्शन बनाने की स्वीकृति दे दी गई है। उन्होंने भरोसा दिया है कि जल्द ही बाजार में इंजेक्शन किल्लत दूर हो जाएगी। इसके साथ ही हाल ही में सरकार के निर्देश के बाद Remdesivir बनाने वाली सभी कंपनियों ने इंजेक्शन की कीमत घटा दी है।