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युवा इंजीनियर भविष्य की चुनौतियों के स्वदेशी समाधान तैयार करें : PM मोदी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 24 2021 12:39AM | Updated Date: Feb 24 2021 12:40AM
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आव्‍हान किया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को स्वदेशी तकनीक एवं विज्ञान के शोध केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए जहां हमारे विद्यार्थी बदलते वक्त के अनुरूप भविष्य की चुनौतियों के लिए आज ही समाधान तैयार कर सकें। 

मोदी ने यहां वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड्गपुर के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह आव्‍हान किया। इस मौके पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, आईआईटी खड़गपुर के अध्यक्ष संजीव गोयनका एवं निदेशक वी. के तिवारी उपस्थित थे। 

मोदी ने कहा, ‘‘इस संस्थान से देश को 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत में बन रहे नए इकोसिस्टम के लिए नये नेतृत्व की भी उम्मीद है। नया इकोसिस्टम, हमारे स्टार्टअप्स की दुनिया में, नया इकोसिस्टम, हमारे इनोवेशन शोध की दुनिया में, नया इकोसिस्टम, हमारे कॉरपोरेट जगत में, और नया इकोसिस्टम, देश की प्रशासनिक व्यवस्था में, इस कैंपस से निकलकर आपको सिर्फ अपना नया जीवन ही स्टार्ट नहीं करना है, बल्कि आपको देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले स्वयं में एक स्टार्ट अप भी बनना हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ये जो डिग्री और मेडल आपके हाथ में है, वो एक तरह से करोड़ों आशाओं का आकांक्षा पत्र है, जिन्हें आपको पूरा करना है। आप वर्तमान पर नजर रखते हुए भविष्य की भी कल्पना करें। हमारी आज की जÞरूरतें क्या हैं और 10 साल बाद क्या जरूरतें होने वाली हैं, उनके लिए आज काम करेंगे तो, कल के नवान्वेषण भारत आज करेगा।’’

प्रधानमंत्री ने छात्रों का आव्‍हान करते हुए कहा कि उनमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की, एक नए विजÞन की एक अद्भुत क्षमता होती है। इसलिए आज हमारे आसपास सूचना का जो भंडार है उसमें से समस्याओं और उनके पैटर्न को वे बहुत बारीकी से देख पाते हैं। समस्याओं के पैटर्न की समझ हमें उनके दीर्घकालिक समाधान की तरफ ले जाती है। ये समझ भविष्य में नई खोज, नए आविष्कार का एक आधार बनती है। यह सोचिए, आप कितने जीवन में बदलाव ला सकते हैं, कितने जीवन बचा सकते हैं, देश के संसाधनों को बचा सकते हैं, अगर आप पैटर्न को समझें और उसे समझ कर समाधान निकालें। इससे संभव है कि भविष्य में यही समाधान आपको कारोबारी सफलता भी दें। 

उन्होंने कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, या गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा। ऐसे बहुत से सवाल आपके दिल दिमाग को जकड़ लेंगे। ऐसी दशा में अपने सामर्थ्य को पहचानकर पूरे आत्मविश्वास और नि:स्वार्थ भाव से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने सैकड़ों साल पहले की इन समस्याओं को आज काफी सरल कर दिया है। लेकिन ज्ञान विज्ञान के प्रयोग में धीरज बहुत जरूरी है। 

आप सभी, ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाजी के लिए कोई स्थान नहीं है। आप जिस प्रयोग पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना भी मिले। लेकिन उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे। आपको याद रखना है कि हर वैज्ञानिक और तकनीकी असफलता से एक नया रास्ता निकलता है। ये विफलता ही सफलता का रास्ता बना सकती है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत की स्थिति के साथ साथ जरूरतें और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। 

अब आईआईटी को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से आगे, स्वदेशी प्रौद्योगिकी संस्थान के अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है। हमारी आईआईटी जितना ज्यादा भारत की चुनौतियों को दूर करने के लिए शोध करेंगी, भारत के लिए समाधान तैयार करेंगी, उतना ही वो वैश्विक आकांक्षाओं का भी माध्यम बनेंगी। हमारी इतनी बडी जनसंख्या के बीच जो प्रयोग सफल होकर निकलेगा, वो दुनिया में कहीं पर भी असफल नहीं होगा। 

मोदी ने विद्यार्थियों से सस्ती, अफोर्डेबल, इनवायर्नमेंट फ्रेंडली टेक्नोलॉजी, क्लीन कुकिंग के लिए सोलर के आधार पर घर में चूल्हा जलाने और सोलर के आधार पर ही घर के लिए आवश्यक एनर्जी स्टोरेज की बैटरी की व्यवस्था, डिजास्टर प्रूफ छोटे-बड़े घरों का निर्माण, हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस, सस्ते एवं सटीक जानकारी देने वाले पर्सनल हेल्थकेयर उपकरणों के निर्माण की दिशा में योगदान देने का आग्रह किया और कहा, ‘‘आप सभी से सिर्फ आपके माता पिता और आपके शिक्षकों की ही उम्मीदें नहीं जुड़ीं हैं बल्कि 130 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं के भी आप प्रतिनिधि हैं। देश की आकांक्षाएं ही आज का आपका प्रमाणपत्र है। ये प्रमाणपत्र दीवार पर टिकाने के लिए या कैरियर के लिए सिर्फ भेजने के लिए नहीं है। ये जो आपको आज सर्टिफिकेट मिल रहा है। वो 130 करोड़ देश की आकांक्षाओं का एक प्रकार का मांग पत्र है, विश्वास पत्र है, आश्वासन पत्र है।.... बीते सालों में जो 75 बड़े इनोवेशन, बड़े समाधान आईआईटी खड़गपुर से निकले हैं, उनका संकलन करें। उनको देश और दुनिया तक पहुंचाएं। अतीत की इन प्रेरणाओं से आने वाले वर्षों के लिए, देश को नया प्रोत्साहन मिलेगा, नौजवानों को नया आत्मविश्वास मिलेगा।’’

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