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भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने भी किसानों के लिये अंग्रेजों से लड़ी थी लड़ाई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 24 2021 12:26AM | Updated Date: Feb 24 2021 12:26AM
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सिरसा। संयुक्त किसान मोर्चा के आव्‍हान पर सिरसा में हरियाणा किसान मंच के बैनर तले शहीदे आजम भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें कई किसान नेताओं ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने की। सर्वप्रथम शहीदे आजम के भांजे प्रो. जगमोहन ने अजीत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके जीवन काल के बारे में बताया कि ब्रिटिश शासनकाल में भी अजीत सिंह ने किसानों के लिए बनाए गए कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 

उस समय किसानों का आंदोलन काफी लंबा चला था, लेकिन लंबी लड़ाई के बावजूद जीत किसानों की ही हुई थी। इस मौके पर किसान नेता दलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पिछले तीन माह से किसान सड़कों पर है लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं है। सरकार बार-बार बातचीत की दुहाई देकर कानूनों में संशोधन की बात कर रही है, लेकिन संशोधन समस्या का हल नहीं है। देश के अन्नदाता की हालत किसी से छुपी नहीं हुई है। 

उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग आवाम की चुप्पी का नाजायज फायदा उठाने की फिराक में हैं, लेकिन उनको ये भ्रम नहीं रखना चाहिए। क्योंकि देश का किसान अब जाग चुका है और जनविरोधी सरकार को सबक सिखाने को आतुर है। सैकड़ों किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो चुके हैं। किसान नेता जोगिंद्र सिंह उग्राहा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीनों कानून किसानों की बजाय अंबानी-अडानी जैसे व्यापारियों को अधिक आजादी देंगे। 

क्योंकि फसलों की खरीद कर ये लोग उसका उचित भंडारण करेंगे और उसके बाद किसानों से ही खरीदी गई फसलों को मनमाने दामों पर बेचकर लोगों को लूटेंगे। उग्राहा ने कहा कि कैथल में गेहूं के भंडारण के लिए गोदाम बनाया जा चुका है, जिसकी क्षमता की बात करें तो पूरे देश का गेहूं स्टोर किया जा सकता है। एमएसपी के नाम पर सरकार किसानों से धोखा कर रही है। जब फसलों को कारपोरेट घराने खरीदेंगे तो एमएसपी का कोई वजूद ही नहीं रह जाएगा क्योंकि कंपनी के मालिक अपनी मर्जी से फसल डील के बाद ही खरीदेंगे। इस मौके पर मनजीत सिंह धनेर ने कहा कि कोविड की आड़ में सरकार ने एक के बाद एक कर सभी सरकारी विभाग पूंजीपतियों के हवाले कर दिए, जिसका आने वाले समय में आमजन को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार चाहती है कि जनता और सरकार के बीच कोई कड़ी न रहे।

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