उत्तराखंड जल प्रलय के बाद से ही लोहरदगा के नौ युवक लापता हैं। ये सभी युवक चमोली में एनटीपीसी के बांध निर्माण में मजदूरी करने के लिए गए हुए थे। 23 जनवरी को सभी युवक काम करने गए थे। रविवार की सुबह 9:45 बजे तक परिजनों की इनसे बात हुई थी। इन युवकों ने काम पर निकलने के पहले परिवार वालों को फोन किया था। लेकिन अब सबका फोन ऑफ आ रहा है।
इन मजदूरों के परिवार के सदस्यों ने जिला प्रशासन से इन्हें ढूंढने में मदद करने की गुहार लगाई है। लापता युवकों में 23 वर्षीय रविंद्र उरांव, 29 वर्षीय ज्योतिष बाखला, 20 वर्षीय नेम्हस बाखला, 27 वर्षीय सुनील बाखला, 49 वर्षीय उरवानुस बाखला, 22 वर्षीय दीपक कुजुर, 31 वर्षीय मजनू बाखला, 30 वर्षीय विकी भगत और 29 वर्षीय प्रेम उरांव है। एक ही गांव के 9 युवकों के लापता होने के बाद परिजन और ग्रामीण काफी चिंतित हैं और टीवी पर आने वाली खबरों पर नजरें गड़ाए हुए हैं। इन मजदूरों के परिवारीजन फोन पर जहां से भी संभव हो जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
सभी युवक गरीब आदिवासी परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। इनका अता-पता नहीं मिलने पर परिवार के सदस्यों की हालत खराब है, उनके आंसू थम नहीं रहे हैं। अपने दो बेटों का कुछ अता-पता नहीं चलने पर मरसीला बाखला बेहद परेशान हैं। इनके दो बेटे सुनील और नेमहस आपदा के बाद से ही लापता हैं। जबकि दीपक कुजूर की मां कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। दीपक की मां सोनमईत उरांव ने कहा कि बेटे को काफी रोका मगर कमाने जा रहे हैं कह कर चला गया। बेटे को नहीं जाने के लिए कहा लेकिन वो नहीं माना, उसने कहा था कि साथी लोग जा रहे हैं। रोजी-रोटी कौन कमाएगा?