नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने टीबी की देखभाल और प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न विकास भागीदारों की बैठक को संबोधित किया। बैठक की में उन्होंने कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई जन-आंदोलन की तरह किए जाने की आवश्यकता है। एक प्रभावी संचार रणनीति की आवश्यकता है जिससे अधिकतम जनसंख्या तक पहुंचने, टीबी प्रबंधन के बचाव, निदान और उपचार, मांग सृजन की दिशा में कार्य पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
साथ ही अत्यंत दर्शनीय मास मीडिया कवरेज सुनिश्चित करने, सामुदायिक स्वामित्व और इस काम में लोगों को जुटाने पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने एक संयुक्त सहयोगी मंच का भी आ’’ान किया, जिसके भागीदार बनकर सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से देश को टीबी के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। जिससे 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत आगे बढ़ें। साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों के लिए सशक्त राजनीति और प्रशासनिक प्रतिबद्धता के महत्व को स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा कि भागीदार स्थानीय स्तर पर विभिन्न राजनीतिक नेताओं से राजनीतिक प्रतिबद्धता को मजबूत बनाने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं। विकास भागीदार टीबी मुक्त स्थिति के लिए राज्यों द्वारा किए गए दावों की पुष्टि के कार्यक्रम में सहायता भी दे सकते हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि टीबी की जानकारी देने में आगे आने और उपचार की सुविधाएं प्राप्त करने में हीनभावना सबसे बड़ी बाधा है और इसके समाधान की आवश्यकता है।
केन्द्रीय मंत्री ने विकास भागीदारों से जमीनी स्तर पर चुनौतियों की वास्तविक सूचना प्राप्त करने और इससे निपटने के लिए क्या किया जा रहा है और क्या नहीं हो रहा, इसकी जानकारी जनसामान्य से लेने के लिए समुदाय के साथ मिलकर निगरानी की अपील की। 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि हमारे सामने समय बहुत कम है। इस दिशा में प्रयास करके आगे बढ़ना जरूरी है। देश ने टीबी हारेगा, देश जीतेगा, अभियान के अंतर्गत पिछले दो वर्ष में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इस अभियान का लक्ष्य 2025 तक टीबी उन्मूलन से संबंधित टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्त करना है, जो कि 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच वर्ष पहले है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम 2018 में मामलों का पता लगाने में 18 प्रतिशत और 2019 में 12 प्रतिशत वृद्धि हुई। निजी क्षेत्र ने भी टीबी सूचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निजी क्षेत्र की सूचना में 77 प्रतिशत वृद्धि हुई जो 2017 में 3.8 लाख से बढ़कर 2019 में 6.8 लाख हो गई। 2018 और 2019 के दौरान 15 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने 2025 तक टीबी उन्मूलन की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। कोविड से इस कार्य में कुछ धक्का लगा है, जिसके लिए इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ उपाय किए जा रहे हैं।
इस दौरान उन्होंने पोलियो और टीबी समेत विभिन्न जन-स्वास्थ्य प्रयासों में विकास भागीदारों की कठिन मेहनत के प्रति उनका आभार व्यक्त किया। पोलियो उन्मूलन का स्मरण कराते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक चुनौती एक अवसर प्रस्तुत करती है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में पोलियो का उन्मूलन कोई आसान कार्य नहीं था, लेकिन सभी पक्षों के सशक्त सहयोग से भारत ने इस रोग का उन्मूलन करने में सफलता पाई और पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम अन्य देशों के लिए आदर्श बन गया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी भागीदारों का सहयोग टीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण है।
देश पिछले 11 महीने से महामारी के खिलाफ निरंतर जंग लड़ रहा है। अब जब कोविड के काम को प्राथमिकता दी जा रही है, हमें 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। हम निरंतर टीबी पर फोकस कर रहे हैं और कोविड की प्रत्येक बैठक में टीबी भी कार्यसूची का एक अंग होता है। बैठक में मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, एनजीओ और अन्य सभी भागीदारों की क्षमता को बढ़ावा देने तथा अन्य सभी भागीदारों के लिए इस रोग के उन्मूलन की दिशा में काम करने के लिए उन्हें बढ़ावा देने का लक्ष्य है।
सभी भागीदारों को वर्तमान नैदानिक और प्रयोगशाला सुविधा, उपचार सुविधा, रोगी सहायता प्रणाली और संचार को मजबूत बनाना होगा। यह कार्य रणनीति के अंतर्गत किया जाएगा। सम्मिलित कार्रवाई से लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। बैठक में मंत्रालय के अपर सचिव विकासशील, विश्व स्वास्थ्य संगठन, बिल मिंिलडा गेट्स फाउंडेशन, एशिया विकास बैंक, यूनिसेफ, यूएनएआईडीएस, इंटरनेशनल यूनियन अगेन्सट टीबी एंड लंग्स डीजीज, डब्ल्यू जे क्लिंटन फाउंडेशन, फाइंड इंडिया, वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स, कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट, सॉलिडेरटी एक्शन अगेन्स्ट एचआईवी इंफेक्शन एंड इंडिया, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज तथा अन्य सगंठनों और प्रमुख अस्पतालों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।