16 Apr 2024, 19:23:48 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

प्रयागराज। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक औषधियों की रानी कही जाने वाली तुलसी की मांग वैश्विक महामारी कोरोना काल में बढ़ गयी है। आयुष अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर के आयुर्वेदाचार्य नरेन्द्र नाथ ने बताया कि तुलसी कई बीमारियों का रक्षा कवच है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में अहम् भूमिका का निर्वहन करती है। इसकी पत्तियों में विटमिन सी, कैल्शियम, जिंक और आयरन के साथ ही सिट्रिक टारटरिक एवं मैलिक एसिड भी प्राप्त होता है। इनमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक होते हैं। आयुर्वेदिक कंपनियां दवाइयां बनाने में इसका इस्तेमाल करती हैं।
 
उन्होने बताया कि आयुर्वेद में तुलसी को रोग नाशक जुडी-बूटी माना जाता है। इसे सौ बीमारियों की ‘एक दवा’ कहें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। यह सर्दी-जुकाम और गले में खरास से राहत दिलाने के लिए इसकी पत्तियों और कालीमिर्च का काढ़ा रामबाण साबित होता है। वहीं कोरोना वायरस से बचाव के दौरान लोगों के काढ़ा तैयार कर उपयोग में लाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी सहायक हुई है।
 
आयुर्वेदाचार्य नरेन्द्र नाथ ने बताया कि आयुर्वेद मे इसे रोग नाशक जड़ी-बूटियों की रानी कहा गया है।‘तुलसी पंचाग (जूस) वैज्ञानिक दृष्टकोण से 90 फीसदी क्षारीय (एल्काइन) होता है। यह प्रतिरोधक क्षमता के लिए श्वेत रक्त कणिकाओं (डब्ल्यूबीसी) का निर्माण करते हैं जिसे ही हम इम्यून या प्रतिरोधकता कहते हैं। उन्होने बताया कि जब शरीर अधिक लवणीय हो जाती है तब डब्ल्यूबीसी का निर्माण होना कम हो हो जाता है जिसे समस्त बीमारियों की जननी कहते हैं।
 
उन्होने बताया कि इसमें इसेंसियल ऑयल, वोलेटाइल ऑयल पाया जाता है जो एंटीवैक्टीरीअल, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है जो शरीर के समस्त धातुओं के विषैलापन को दूर करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। तुलसी की चाय का सेवन किया जाए तो इससे कैंसर होने की संभावना काफी कम हो जाती है क्योंकि तुलसी कैंसर को जन्म देने वाली अनियंत्रित कोशिकाओं को बढ़कर विभाजित होने से रोकता है और कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।
 
तुलसी का प्रयोग आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी एवं एलोपैथी दवाओं में होता है। इसकी जड़, तना, पत्तियों समेत सभी भाग उपयोगी हैं। तुलसी में विटामिन व खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह सभी रोगों में लाभप्रद मानी जाती है। वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ कफ, वात दोष, पाचन शक्ति बढ़ाने बुखार, पेटदर्द, बैक्टीरियल संक्रमण खत्म करने में काम आती है। श्वांस लेने में हो रही परेशानी को राहत दिलाने में सहायक होती है।
 
आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि जिन लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा होता हैण। ऐसे में इम्यूनिटी सिस्टम मजबत रहना आवश्यक है। इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए वैसे तो कई तरीके हैं लेकिन इसे नेचुरल तरीके से बढ़ाया जा सकता है। नेचुरल तरीके से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा सबसे अच्छा ऑप्शन है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़े से इम्युनिटी मजबूत होगी और शरीर कोरोना से लड़ने में बेहतर रूप से सक्षम हो पाएगा।
 
नरेन्द्र नाथ ने बताया कि श्वास संबंधित रोग, बुखार, जुकाम को ठीक करती है। किडनियों को स्वस्थ रखती है। इसकी पत्तियों में चमकीला वाष्पशील तेल पाया जाता है जो कीड़ों एवं वैक्टीरिया के खिलाफ काफी कारगर साबित होता है। तुलसी को संजीवनी बूटी की संज्ञा भी दी गयी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
 
उन्होने बताया कि यह स्ट्रेस और डिप्रेसन को भी दूर भागने में सहायक होता है। पारंपरिक तुलसी का उपयोग कंजक्टीवाइटिस (आंख आना) की समस्या से राहत पहुंचाता है। किसी भी प्रकार के श्वसन संबंधी रोग के दौरान इसका उपयोग गुणकारी है।
 
नैनी क्षेत्र के फूलमंडी में तुलसी विक्रेता रोशन ने बताया कि कोरोना काल में लोगों का विश्वास आयुर्वेद के प्रति बढ़ा है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने वाली औषधियों में तुलसी की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। कोरोना से पहले तुलसी की पत्तियों की कीमत 50 रुपये प्रति किलो थी, जो कि अब 100 किलो से अधिक तक पहुंच गई है। फुटकर बाजार में तो यह और भी महंगी बिक रही है। इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर गिलोय और अश्वगंधा के मूल्यों में भी मांग के कारण उछाल आया है।
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