नई दिल्ली। स्वच्छ भारत अभियान महात्मा गांधी की आज 151 वीं जयंती पर देश में साफ सफाई की अवधारणा में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले कार्यक्रम के तौर पर अपने छह साल पूरे कर रहा है जिसने शौचालय को किसी भी मकान के अनिवार्य हिस्से में रुप स्थापित किया है और शहरों में साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
वर्ष 2014 में इसकी शुरुआत के समय से ही स्वच्छ भारत अभियान ने स्वच्छता एवं ठोस कचरा निष्पादन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। अभी तक 4,327 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त-ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। यह 66 लाख से ज्यादा मकानों में निजी शौचालय और छह लाख से ज्यादा सामुदायिक या सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किए जाने से संभव हुआ है। यह इस अभियान के लक्ष्य से कहीं अधिक है।
इसके अतिरिक्त, 2900 से ज्यादा शहरों में 59,900 शौचालय गूगल मैप के जरिए दर्शाए जा चुके हैं। ठोस कचरा निष्पादन के क्षेत्र में, 97 प्रतिशत से ज्यादा वार्डों में घर घर से कचरा उठाने की व्यवस्था पूरी कर ली गई है, 77 प्रतिशत में स्रोत पर कचरा अलग करने की और 67 प्रतिशत वार्डों में कुल उत्पादित कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है। यह वर्ष 2014 के 18 प्रतिशत के स्तर से चार गुना अधिक है।
कचरा मुक्त शहरों में 06 शहरों इंदौर, अंबिकापुर, नवीं मुंबई, सूरत, राजकोट और मैसूरू को पांच सितारा शहरों का दर्जा दिया गया है, 86 शहरों को तीन स्टार और 64 शहरों को एक स्टार का दर्जा दिया गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के तहत 12 करोड़ से ज्यादा नागरिकों की भागीदारी रिकार्ड की गई है। अभियान अब तक अनौपचारिक तौर पर कचरा उठाने वाले 84 हजार लोगों को मुख्यधारा में जोड़ चुका है और 5.5 लाख से ज्यादा सफाई कर्मचारियों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा चुका है।
स्वच्छ भारत अभियान केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर, 2014 को नई दिल्ली के राजघाट से शुरू किया था। इसका उद्देश्य राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती के अवसर पर दो अक्टूबर, 2019 तक ‘ स्वच्छ भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करना था।