अयोध्या। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने सीबीआई अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि बाबरी विध्वंस एक जन आक्रोश का परिणाम था और इसमें किसी ने कोई साजिश नही रची थी।
मंहत ने कहा कि छह दिसम्बर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद को ढहाने में आरोपियों की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने ढांचा ध्वस्तीकरण मामले से सीबीआई न्यायालय द्वारा बरी किये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि इस देश का कोई भी नागरिक षडयंत्रकारी नहीं है। ढांचा गिरना आक्रोश का परिणाम था। देर से ही सही न्यायालय पर निर्णय देकर आस्था पर मुहर लगा दी।
महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा ‘‘बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि ले।’’ श्री सीताराम जी कृपा से और करोड़ों भक्तों द्वारा किये गये अनुष्ठान पूजन से आज भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में निवास करने वाले हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी इस समस्या के समाधान से प्रसन्न हैं।
मणिराम दास छावनी के महंत ने कहा कि भगवान राम सभी के पूर्वज हैं जिनकी जन्मभूमि अब मुक्त हो चुकी है। ऐसे में छह दिसम्बर 1992 इतिहास में अंकित हो चुका है। उन्होंने कहा कि छह दिसम्बर की घटना में आरोपी बनाये गये लोग आस्था, श्रद्धा व भक्ति से परिपूर्ण हैं। वह राष्ट्र व समाज के विरुद्ध कार्य करने वाले नहीं हैं। उन पर मुकदमा चलवाकर मानसिक पीड़ा पहुंचायी गयी। उन्होंने कहा कि आज हम सभी श्रीराम काज में लगे कारसेवक न्यायालय द्वारा दोषमुक्त हुए यह श्री सीताराम जी की कृपा का ही परिणाम है।
इस बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि सीबीआई द्वारा आज का निर्णय अभिनन्दनीय है। छह दिसम्बर की घटना 30 अक्टूबर व दो नवम्बर 1990 की रक्त रंजित क्रिया की प्रतिक्रिया में हुई थी। घटना कोई पूर्ण नियोजित नहीं थी। जिनको आरोपी बनाया गया वे कहीं भी षड्यंत्रकारी नहीं थे बल्कि राजनीतिक शिकार बनाये गये।
उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि का संघर्ष व इतिहास के पन्नों में अंकित हो चुका है। नौ नवम्बर 2020 को उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय से किसी भी पक्ष की जय पराजय नहीं हुई बल्कि एक पक्ष की सम्पत्ति उसे पुन: वापस प्राप्त हुई है।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी ने कहा कि न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर देश का विश्वास और भी मजबूत हुआ है। आज भगवान पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं और अपनी जन्मभूमि के कारण होता देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में हुई गलतियों का परिमार्जन हो चुका है। इस गंभीर विषय के समाधान से दोनों पक्ष संतुष्ट हैं।