नैनीताल। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास भत्ते और अन्य सुविधायें प्रदान करने के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के इसी वर्ष नौ जून के आदेश के खिलाफ दायर सरकार की विशेष याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा तथा न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ के समक्ष 22 सितम्बर को राज्य सरकार द्वारा दायर सभी मामलों पर सुनवाई हुई। पीठ ने राज्य सरकार की विशेष याचिका को लंबी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है।
हालांकि न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देते हुए अवमानना की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है। पीठ ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह बाद सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है और तब तक अवमानना की कार्यवाही पर रोक रहेगी। यही नहीं उत्तराखण्ड न्यायालय के तीन मई 2019 के आदेश पर भी रोक लगा दी है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला का किराया बाजार दर पर वसूलने के आदेश दिये थे। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने इसकी पुष्टि की है।
देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन केन्द्र (रलेक) की ओर से वर्ष 2010 में एक जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, स्व0 नारायण दत्त तिवारी और विजय बहुगुणा को मिले मुफ्त बंगला तथा अन्य सुविधा को चुनौती दी थी। न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई, 2019 को आदेश जारी कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला का किराया और अन्य मदों का भुगतान बाजार दर पर करने के आदेश जारी किये थे।
इसके बाद सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के लिये पिछले साल सितम्बर में एक अध्यादेश लाया गया और 13 जनवरी 2020 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे कानूनी स्वरूप दे दिया। याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के इस कदम को दुबारा जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद कानून लाया गया जो कि गलत है। न्यायालय ने इस वर्ष नौ जून को कानून के प्रावधानों को असंवैधिानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। यही नहीं याचिकाकर्ता की ओर से हाल ही में सरकार और पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गयी है।