नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि वह एक चीनी डाटा कंपनी द्वारा भारतीय शख्सियतों एवं संस्थाओं की जासूसी संबंधी मीडिया रिपोर्टों की जांच राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक से कराने का फैसला किया है और उन्हें 30 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां नियमित ब्रींिफग में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि विदेश मंत्रालय ने इस बारे में मीडिया रिपोर्टों को देखा है और इसे चीनी पक्ष के समक्ष उठाया है।
चीनी पक्ष ने कहा है कि झेनहुआ डाटा कंपनी एक निजी कंपनी है और उसका चीन सरकार से कोई संबंध नहीं है। श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जो इन रिपोर्टों का अध्ययन करेगी और उसके प्रभावों का आकलन करके जांचेगी कि किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं हुआ है। यह समिति 30 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। एक अंग्रेजी अखबार में कुछ दिनों लगातार चीन की झेनहुआ डाटा कंपनी द्वारा भारतीय उच्चपदस्थ शख्सियतों एवं संस्थानों की जासूसी करने और भारतीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने संबंधी रिपोर्टें प्रकाशित हुईं हैं।
ये रिपोर्टें ऐसे समय आयीं हैं जब भारत एवं चीन के बीच 1962 के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सर्वाधिक तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध कायम है और कम से कम दो बार दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष हो चुका है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति के बारे में सवालों के जवाब में प्रवक्ता ने दोहराया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 सितंबर को संसद में स्पष्ट रूप से कहा है कि हम चीन के साथ कूटनीतिक एवं सैन्य चैनलों से शांतिपूर्ण संवाद के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
चीन को पेंगांग झील सहित सभी टकराव के बिन्दुओं पर सेनाओं को द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुरूप तेजी से हटाने लिए भारतीय पक्ष के साथ गंभीरता से काम करना चाहिए। उम्मीद है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा का संजीदगी से सम्मान करेगा और एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगा।