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चीन विवाद के बीच राज्‍यसभा में बोले राजनाथ - लद्दाख समस्या चुनौती, फिर भी खरे उतरेंगे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 17 2020 4:57PM | Updated Date: Sep 17 2020 4:58PM
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नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर कहा कि इस सदन से दिया गया एकता व पूर्ण विश्वास का संदेश पूरे देश और पूरे विश्व में गूंजेगा और चीनी सेनाओं के साथ आंख से आंख मिलाकर सीमा पर अडिग खड़े हमारे जवानों में एक नए मनोबल, ऊर्जा व उत्साह का संचार होगा। यह सच है कि हम लद्दाख में एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं लेकिन साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूं कि हम एक ध्वनि से अपनी सेनाओं की बहादुरी और उनके अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।
 
रक्षामंत्री ने कहा कि सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता रखना आवश्यक हैं। पिछले कई दशकों में चीन ने बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा निर्माण शुरू किया है जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में उनकी तैनाती क्षमता बढ़ी है। आने वाले समय में सरकार को देश हित में कितना भी बड़ा और कड़ा कदम उठाना पड़े तो हम पीछे नहीं हटेंगे। मैं इस सदन के माध्यम से 130 करोड़ देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे, यह हमारा, हमारे राष्ट्र के प्रति दृढ संकल्प है। हमारी सरकार ने भी सीमावर्ती इलाकों का विकास करने के लिए बजट बढ़ाकर पहले से लगभग दोगुना किया है। बीते समय में भी कई बार चीन के साथ सीमा क्षेत्रों में आमने-सामने की स्थिति बनी है, जिसका देखने के तरीके से समाधान निकल गया है। हालांकि इस बार की स्थिति पहले से बहुत अलग है।
 
उन्होंने कहा कि मैंने खुद सीमा पर जाकर सशस्त्र बलों के जवानों का जोश और उनका बुलंद हौसला देखा है। हमारे जवान किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। इस बार भी हमारे वीरों ने किसी भी प्रकार की आक्रामकता दिखाने के बजाय धैर्य और साहस का परिचय दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने बहादुर जवानों के बीच जाकर उनका हौसला बढ़ाया है, जिसके बाद हमारे कमांडरों तथा जवानों में संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी उनके साथ है। हमारी देश की सेनाओं ने देश की रक्षा करने में अपने प्राण तक न्यौछावर करने में कोई कोताही नहीं बरती है। यही वजह है कि 15 जून को गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू ने भारत माता की रक्षा करते हुए अपने 19 साथियों के साथ शहादत दी थी।
 
उन्होंने कहा कि  सैनिकों के लिए विशेष गर्म कपड़े, उनके रहने के लिए विशेष तम्बू और उनके सभी हथियारों और गोला-बारूद की पर्याप्त व्यवस्था बर्फीली ऊंचाइयों के अनुसार उनके लिए बनाई गई है। दुर्गम पहाड़ों पर जहां ऑक्‍सीजन की कमी है, वहां हमारे जवानों का हौसला बुलंद है। अभी की स्थिति काफी संवेदनशील शामिल है, इसलिए मैं ज्यादा ब्योरे का खुलासा सदन में नहीं करना चाहूंगा। सीमा अवसंरचनात्मक विकास को बढ़ाने देने से न केवल स्थानीय लोगों को सुविधा हुई है, बल्कि सेना को भी सहायता मिली है। इससे वे सीमा पर अधिक समय तक बने रह सकते हैं और जरूरत पड़ने पर बेहतर जवाबी कार्रवाई भी कर सकते हैं।
 
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