नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन बनाने का आव्हान करते हुए बुधवार को कहा कि मानव और प्रकृति के सह अस्तित्व को ध्यान में रखकर विकास के मानकों पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने हिमालय दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिए सभी लोगों , विशेषकर युवाओं को आगे आना चाहिये और प्रकृति के संरक्षण से ही मानव का अस्तित्व संभव है। उन्होंने कहा कि विकास के मानकों पर फिर से विचार किया जाना चाहिए क्योंकि मानव के वजूद के लिए प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है।
उन्होंने हिमालय के हिमखंडों के तेजी से पिघलने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पर्वतीय श्रेणी का संरक्षण एवं संवर्धन जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमालय संसाधनों का समृद्ध स्रोत है और इनके संरक्षण को ध्यान में रखकर विकास की नीति बनायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण क्षरण की कीमत पर विकास नहीं होना चाहिए और बार बार प्राकृतिक आपदाओं का आना प्रकृति संरक्षण के प्रति लापरवाही का नतीजा है। हिमालय की पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक उपयोगिता का उल्लेख करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इसके नहीं रहने से पूरा भारत रेगिस्तान होगा।