नई दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रदूषण कम करने के लिए राज्यों से अपना पर्यावरण बजट बढ़ाने तथा आम लागों से सहयोग की आज अपील की। ‘नील गगन के लिए स्वच्छ वायु’ अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक वेबीनार में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पर्यावरण सचिवों तथा देश के सबसे प्रदूषित 122 शहरों के स्थानीय निकाय आयुक्तों को संबोधित करते हुये जावडेकर ने कहा ‘‘राज्यों को भी प्रदूषण के खिलाफ काम करने के लिए बजट बढ़ाना होगा।
पिछले 10 साल में राज्यों का वन के लिए बजट कम हो रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत चिह्नित 122 शहरों में से अधिकतर में निगम निकाय हैं। उन्हें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। हर शहर में प्रदूषण का मुख्य कारण अलग-अलग है और इसलिए उन्हें उसी हिसाब से विशेष योजना तैयार करनी होगी।’’ उन्होंने कहा कि इस काम में लोगों को भी जुड़ना होगा। उन्हें चाहिये कि वे डीजल या पेट्रोल वाहन की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक उपयोग करें, सार्वजनिक वाहनों में सफर करें, बिजली और पानी बचायें तथा पेड़-पौधे लगायें।
उन्होंने लोगों से एक किलोमीटर तक जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करने या पैदल जाने की अपील की। पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक हवा में मौजूद सूक्ष्म धूलकणों पीएम-10 और पीएम-2.5 की मात्रा 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साल स्वतंत्रता दिवस संबोधन में अगले चार साल में 122 शहरों में प्रदूषण में बड़े पैमाने पर कमी लाने की घोषणा की थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार, 122 चिह्नित शहरों में से 48 में प्रदूषण स्वीकार्य स्तर की तुलना में दुगुने से भी अधिक है।
अन्य 39 शहरों में प्रदूषण स्वीकार्य स्तर से 51 से 100 प्रतिशत अधिक है। तेईस शहरों में प्रदूषण स्वीकार्य स्तर से से 20 से 50 प्रतिशत ज्यादा है जबकि शेष 12 शहरों में यह स्वीकार्य स्तर से 19 प्रतिशत तक ज्यादा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि हम सब एक ही हवा में साँस लेते हैं और इसलिए इस स्वच्छ रखना हमारी सम्मिलित जिम्मेवारी है। कोविड-19 महामारी के दौरान एक अच्छी बात यह हुई है कि हमारे शहरों की हवा साफ हो गई है।