16 Apr 2024, 22:26:34 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

‘जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा किस बात की?’ :उच्चतम न्यायालय

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 15 2020 12:19AM | Updated Date: Aug 15 2020 12:19AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने देश भर के कॉलेजों एवं यूनिवर्सिटी में स्रातक पाठ्यक्रमों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से कहा कि जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा किस बात की? याचिकाकर्ताओं में से एक -यश दुबे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ के समक्ष अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्णय पर सवाल खड़े किये।
 
सिंघवी ने कहा कि जब पाठ्यक्रम की पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा किस बात की ली जायेगी। कोई विश्वविद्यालय बिना पढ़ाये परीक्षा देने पर बाध्य नहीं कर सकता। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब देश में 1137 कोरोना के मामले थे तब यूजीसी ने परीक्षाएं आयोजित नहीं की तो वह 22 लाख से अधिक मामले होने पर भी परीक्षाएं कैसे आयोजित करा सकती है? उन्होंने यह भी कहा कि जब गृह मंत्रालय ने अपने अनलॉक कार्यक्रम में स्कूल कॉलेजों को खोलने की अनुमति नहीं दी है तो उसने परीक्षा आयोजित कराने के लिए यूजीसी को निर्देश कैसे दे दिया।
 
सिंघवी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इन पहलुओं पर बिना सोचे समझे ही परीक्षा आयोजित करने के लिए यूजीसी को आदेश जारी कर दिये और आयोग ने भी 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी। कुछ छात्रों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने भी कहा कि 29 अप्रैल को देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1137 थी, तब यूजीसी ने परीक्षाएं आयोजन कराने का निर्णय नहीं लिया। ऐसे में आज जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 22 लाख से अधिक है तो यूजीसी परीक्षाएं कैसे आयोजित करा सकता है?  
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »