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विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का फैसला सुनाया जा सकता 31 अगस्त तक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 6 2020 12:27AM | Updated Date: Aug 6 2020 12:27AM
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लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत 31 अगस्त तक बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। ट्रायल कोर्ट ने अपनी दिन-प्रतिदिन की सुनवाई लगभग पूरी कर ली है और अब आरोपियों को 10 अगस्त तक अपने वकीलों के माध्यम से लिखित दस्तावेज में स्पष्टीकरण या सबूत पेश करने को कहा गया है।  नौ नवंबर, 2019 को दिए गए रामजन्मभूमि फैसले के साथ, अब ध्यान विध्वंस के मुकदमे के मामले में स्थानांतरित हो गया है, जो छह दिसंबर 1992 के बाद शुरू हुआ था।
 
उच्चतम न्यायालय ने अपने टाइटल सूट के फैसले में यह भी कहा कि मस्जिद का विध्वंस एक अपराधी मामला हैं। हालांकि, पूर्व उप प्रधामंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ0 मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उमा भारती समेत सभी 31 आरोपियों ने इस मामले में दोषी नहीं होने की दलील दी है। आरोप लगाया कि राजनीतिक साजिश में उन्हें फंसाया गया। पिछले 28 साल की बार-बार की गई जांच और मुकदमे के बाद, यह मामला आखिरकार लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में चल रहा है।
 
32 जीवित आरोपियों में से, 31 ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत अपने अंतिम बयान दर्ज किए हैं। कम चर्चित आरोपियों में से एक फरार है। अब तक कुल 351 गवाहों की जांच हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एस के यादव को उच्चतम न्यायालय ने इस मुकदमे को पूरा करने के लिए विस्तार दिया। वकील अभिषेक रंजन, जो कि आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह के वकील हैं, ने कहा, ‘‘कार्यवाही अंतिम चरण में है। 313 सीआरपीसी के बयान के बाद, बचाव पक्ष एक बार फिर आवश्यक गवाहों से सवाल करना चाहेगा।
 
उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के समापन की अंतिम तिथि 31 अगस्त तय की है। इसलिए दिन-प्रतिदिन सुनवाई चल रही है। ’’  वरिष्ठ वकील आई बी सिंह, जिन्होंने कई आरोपियों के बचाव में तर्क दिया था, ने कहा, ‘‘मुकदमा अब अपने आखिरी चरण में हैं। हम मामले में जल्द ही फैसला सुनाने की उम्मीद करते हैं। '   एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 28 साल बाद भी, इस मामले में एक फैसले का इंतजार सीबीआई अदालत से किया जा रहा है। सिंह ने कहा, ‘‘मामले में पहले दिन से बड़ी कमियों है, एक अपराध के लिये अलग-अलग एफआईआर क्यों दर्ज की गईं।’’ 
 
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