लखनऊ। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के सदस्य जफरयाब जिलानी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये भूमि पूजन होने के बाद भी मानते हैं कि वहां बाबरी मस्जिद है जबकि एक अन्य मुस्लिम नेता का मानना है कि आज लगभग पांच सौ साल के विवाद का पूरी तरह पटाक्षेप हो गया और हिंदूओं की उम्मीद आज पूरी हो गई। जिलानी ने कहा कि देश के मुसलमान अभी भी मानते हैं कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद है जिसे 6 दिसम्बर 1992 को गिरा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि वहां मस्जिद थी जिसे गिराना आपराधिक कृत था। सीबीआई की अदालत में इसका मुकदमा चल रहा है जिसका फैसला इस माह के अंत तक आने की उम्मीद है। उच्चतम न्यायालय के यह मानने के बावजूद फैसला दूसरे के पक्ष में सुना दिया गया। मुसलमान इस फैसले का नहीं मानते इसलिये पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने ठुकरा दिया।
दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कर दिया गया था अयोध्या में मंदिर को गिरा कर 1529 में मस्जिद बनायी गयी थी। पुरातात्विक विभाग के सर्वेक्षण में भी यह सामने आया कि वहां मंदिर था। हिंदुओं को उनकी जमीन मिल गई और मंदिर के लिये आज भूमि पूजन भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथ सम्पन्न हो गया। लिहाजा मुसलमानों को अब भाई चारा बनाये रखने के लिये हर तरह के विवाद को खत्म कर देना चाहिये।