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भारत-चीन स्थिती: गलवान घाटी पर चीन का दावा भारत को स्वीकार नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 21 2020 6:40PM | Updated Date: Jun 21 2020 6:41PM
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नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि गलवान घाटी के बारे में चीन द्वारा किये जा रहे दावे भारत को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं हैं और ये दावे चीन के खुद के पहले के रूख के अनुरूप नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन के आधिकारिक प्रवक्ता के बयान पर सवालों के जवाब में कहा ,‘‘ गलवान घाटी के बारे में स्थिति बहुत लंबे समय से स्पष्ट है। चीन द्वारा अब वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अश्योक्तिपूर्ण तथा ऐसे दावे किये जा रहे हैं जो अपुष्ट हैं और उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। ये दावे चीन के खुद के पहले के रूख के अनुरूप नहीं हैं। ’’       
 
भारतीय सैनिक सीमा के गलवान घाटी सहित सभी सेक्टरों में एलएसी से भलीभांति परिचित हैं। वे इसका पालन करते हैं। भारतीय सैनिकों ने एलएसी के पार कभी कोई गतिविधि नहीं की है। वास्तविकता यह है कि वे इस क्षेत्र में लंबे समय से गश्त लगा रहे हैं और किसी तरह की घटना नहीं हुई है। भारत ने जो भी निर्माण किया है वह अपनी सीमा में किया है। गत मई से ही चीनी सैनिक इस क्षेत्र में भारत के सामान्य और पारंपरिक गश्त में बाधा डाल रहे हैं।
 
इसके कारण दोनों के बीच टकराव हुआ जिसका कमांडरों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल के प्रावधानों के अनुसार समाधान किया। प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस बात को नहीं मानता कि वह यथास्थिति को एकतरफा बदल रहा है बल्कि भारत इसे बरकरार रखे हुए है। प्रवक्ता ने कहा कि चीनी सैनिकों ने मई के मध्य में पश्चिम सेक्टर में एलएसी का अतिक्रमण करने का प्रयास किया जिसका हमने उचित जवाब दिया।
 
इसके बाद दोनों पक्षों में स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चीनी गतिविधियों के कारण उत्पन्न स्थिति के समाधान के लिए बातचीत हुई । वरिष्ठ कमांडरों के बीच 6 जून को बैठक हुई और दोनों पक्ष सैनिकों को एलएसी के साथ साथ पीछे हटाने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष एलएसी पर यथास्थिति बरकरार रखने पर भी सहमत हुए लेकिन चीन गलवान घाटी में इस सहमति से पीछे हट गया और उसने एलएसी पार कर निर्माण की कोशिश की। 
 
जब उसकी इस कोशिश को विफल कर दिया गया तो चीनी सैनिक 15 जून को हिंसक कार्रवाई पर उतर आये जिसके कारण सैनिक हताहत हुए। दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत में भारत ने हिंसक कार्रवाई पर विरोध दर्ज कराया। भारतीय विदेश मंत्री ने चीन के आधारहीन आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि चीन को अपनी गतिविधियों का आकलन कर उनमें सुधार के कदम उठाने चाहिए।
 
बातचीत में दोनों पक्षों ने जिम्मेदारी के साथ स्थिति के समाधान पर सहमति जतायी। इसके बाद से दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से संपर्क बना हुआ है और सैन्य तथा राजनयिक माध्यम से बातचीत के बारे में चर्चा की जा रही है। भारत ने उम्मीद जतायी है कि सीमा पर  शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए चीन दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति का पालन करेगा। 
 
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