नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने शनिवार को केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए अंबेडकर नगर, इंदिरा गांधी और बुराड़ी अस्पतलों को खोलने में जानबूझकर देरी कर रही है। कुमार ने अंबेडकर नगर और इंदिरा गांधी अस्पताल, द्वारका का दौरा किया और कहा कि ये अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल के साथ, दिल्ली सरकार द्वारा कोविड रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते थे लेकिन केजरीवाल सरकार इन अस्पतालों को खोलने में जानबूझकर देरी कर रही है क्योंकि यह निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल कोविड मरीजों के लिए प्राइवेट जगहों पर बिस्तर का इंतजाम करके पब्लिक का पैसा बर्बाद कर रहे हैं जबकि दिल्ली में तीन नये अस्पताल कई महीने से बनकर तैयार हैं। 600 बेड वाले अम्बेडकर नगर अस्पताल और 1725 बेड के द्वारका स्थित इन्दिरा गांधी अस्पताल का दौरा करने के बाद चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि अम्बेडकर नगर अस्पताल पूरी तरह से तैयार है, सिर्फ उद्घाटन करने की देर है और द्वारका में इन्दिरा गांधी अस्पताल का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
दिल्ली सरकार पिछले तीन महीनों से राजधानी में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी का लगातार रोना रो रही है जबकि अस्पतालों के शेष कार्य को पूरा करके बिस्तरों की कमी को आसानी से पूरा कर सकती थी। उन्होंने कहा कि 15 जून को गृह मंत्री अमित शाह के साथ सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अम्बेडकर नगर, बुराड़ी अस्पताल और द्वारका में इन्दिरा गांधी अस्पताल में बेडों की संख्या 2609 से भी अधिक है, इनका कोविड मरीजों के इलाज के इस्तेमाल नहीं किया जबकि राजधानी में कोविड महामारी के हालात को देखते हुए इनका कार्य युद्ध स्तर पर करके इनका उद्घाटन किया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि शाह ने इस पर गौर करने के लिए भरोसा दिया था। उन्होंने कहा कि केजरीवाल तीन महीने तक अपने सरकारी बंगले में ही आराम फरमा रहे थे और अब जब कोविड संकट की स्थिति दिल्ली सरकार के हाथों से निकल गई है और महामारी के तेजी से फैलने के बाद वह रेलवे की बोगियों, स्टेडियमों, बैंक्वेट हॉल, होटलों और धार्मिक स्थलों में बेड की व्यवस्था करने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। वह खुद को अपनी जिम्मेदारी से मुक्त करके साफ निकलना और विफलताओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी संकट के दौरान केजरीवाल सरकार पब्लिक का पैसा अपने प्रचार में पोस्टर, बैनर और विज्ञापन देकर बर्बाद कर रही है, जबकि इसी पैसे को कोविड मरीजों के लिए बेड और सरकारी अस्पतालों के स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल और केजरीवाल के बीच विरोधाभास है।
पहले केजरीवाल ने कम लक्षण या बिना लक्षण के मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जिसको उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया फिर उपराज्यपाल ने अपने निर्णय में बदलाव करके होम आइसोलेशन को जारी रखने के आदेश कर दिए। उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली के लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि कोरोना से निपटने के लिए दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के बीच क्या समन्वय हुआ है? उन्होंने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं लेकिन जब भी बैठक में आपस मिलते हैं, एक-दूसरे की पीठ थपथपाते हैं और दिल्ली के लोग दुविधा में फंसे हुए हैं, जिनको कोरोना वायरस से जुड़े दिशा-निर्देशों का पालन करना है।