पटना। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन में लोगों के बाहर निकलने की पाबंदियों के कारण ग्राहकी कमजोर पड़ने से इस बार बिहार में ईद बाजार की चमक फीकी पड़ गई है। ईद-उल-फितर मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। रमजान पूरे होने के बाद मनाई जाने वाली वाली ईद को ‘मीठी ईद’ भी कहते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से इस बार ईद की रौनक भी फीकी हो गयी है। ऐसा पहली बार होगा जब घरों में रहकर ईद की नमाज अता की जाएगी और त्योहार मनाया जाएगा। राजधानी पटना की सभी मस्जिदों में सिर्फ पेश इमाम, मोअज्जिन (अजान लगाने वाले) और मस्जिद की देखभाल करने वाले दो लोग ही नमाज अता करेंगे।
बाजार में हर तरफ ईद की खरीदारी करते लोगों का बड़ा हसीन मंजर दिखा करता था। ग्राहकों की मांग के अनुरूप व्यापारी खास इंतजाम किया करते थे।अलग-अलग प्रकार के परिधान से अस्थायी और स्थायी दुकानें सजायी जाती थी। ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखकर दुकानदार भी लेटेस्ट फैशन से जुड़े डिजाइनर और पॉपुलर ब्रांड के कपड़ों का स्टॉक सजाकर रखते थे लेकिन कोरोना संक्रमण ने इस बार ईद की खुशियां ही छीन ली। लॉकडाउन चलते शहर में ईद के त्योहार की रौनक गुम हो गयी है।
करीब दो माह से जारी लॉकडाउन के कारण रमजान के दौरान बाजार में रहने वाली चहल-पहल भी गायब हो गई है। आम दिनों के मुकाबले जहां रमज़ान के महीने में बाजारों में भीड़ और व्यापार ज्यादा होते है वहीं इस बार बाजार में बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ है। ईद के अवसर पर सुबह और शाम दोनों वक्त कपड़े, आभूषण, ड्राई फ्रूट, सेवई एवं इत्र की प्रत्येक छोटी-बड़ी दुकानों पर भीड़ नजर आती थी लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के डर से खरीददार बाहर नहीं निकल रहे हैं।