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प्रवासी श्रमिक : मजदूरी देने का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का फिलहाल इन्कार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 7 2020 5:04PM | Updated Date: Apr 7 2020 5:05PM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ के बढ़ते संक्रमण के बाद जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर असंगठित क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी देने का सरकार को निर्देश देने से यह कहते हुए मंगलवार को इन्कार कर दिया कि वह फिलहाल सरकार के किसी भी प्रयास या फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
 
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई 13 अप्रैल तक स्थगित कर दी और कहा कि इस वक्त वह सरकार के नीतिगत मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट के अवकोलन के बाद मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी।
 
इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने खंडपीठ से आग्रह किया कि उसे प्रवासी मजदूरों के लिए वेतन के भुगतान का सरकार को निर्देश देना चाहिए, ताकि वे अपने परिवारों को पैसे भेज सकें। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने भूषण से पूछा कि क्या उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट का अध्ययन किया है। यदि नहीं, तो ऐसा करके वह अगले सोमवार तक जवाब देने को कहा।
 
इस पर भूषण ने कहा कि सोमवार तक, कई लोग मर जाएंगे। खंडपीठ ने हालांकि, इस संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से इन्कार कर दिया कि नीतिगत निर्णय सरकार का विशेषाधिकार हैं। पीठ ने यह भी कहा कि तथ्यों पर विवाद हो सकता है, लेकिन स्थिति रिपोर्ट देखे बिना यह नहीं कहा जा सकता कि सरकार कुछ नहीं कर रही। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम इस स्तर पर बेहतर निर्णय नहीं ले सकते। हम अगले 10/15 दिनों के लिए सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।’  
 
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