नई दिल्ली। कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ को लेकर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर बेरोजगार हुए मनरेगा मजदूरों को इस अवधि की मजदूरी का भुगतान किये जाने के निर्देश संबंधी एक याचिका शनिवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी। सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल डे ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की है।
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिका में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक समान दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सभी सक्रिय और पंजीकृत जॉब कार्ड धारकों को कार्य पर मौजूद समझा जाये और उन्हें जल्द से जल्द पूरी मजदूरी का भुगतान किया जाए।
याचिकाकर्ता ने सात करोड़ 60 लाख से अधिक सक्रिय जॉब कार्ड धारकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य और आजीविका के मौलिक अधिकारों की रक्षा की मांग की है। याचिका में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा छह और 10 के तहत गत 24 मार्च के राष्ट्रीय लॉकडाउन का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें आवश्यक सेवाओं/वस्तुओ के लिए आरक्षति अपवादों में मनरेगा के अंतर्गत किये जाने वाले कार्य समाहित नहीं किये गये हैं।
हालांकि, बाध्यकारी आदेश/दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों को जहां तक भी संभव हो, मनरेगा के कार्यों को जारी रखने का निर्देश दिया है, जिससे श्रमिकों के स्वास्थ्य/जीवन को खतरा भी है, क्योंकि ऐसे कार्यों में सोशल डिस्टेंंिशग का चक्र टूटने का खतरा होता है।