नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को जहां कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका- ने संतुलन कायम रखते हुए देश को उचित रास्ता दिखाया है, वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि कानून के शासन की सफलता इस बात पर निर्भर है कि न्यायपालिका किस प्रकार विभिन्न चुनौतियों से निपटती है।
मोदी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में कानून का शासन भारतीय लोकनीति का आधार स्तंभ है और तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका- ने अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए संतुलन बरकरार रखा है और देश को उचित रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा, तमाम चुनौतियों के बीच, कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है। हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है।
बीते पांच वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह दशक भारत सहित दुनिया के सभी देशों में बदलावों का दशक है। यह बदलाव सामाजिक, आर्थिक और तकनीक हर मोर्च पर होंगे। ये बदलाव तर्कसंगत और न्यायसंगत भी होने चाहिए तथा सबके हित में भी। ये बदलाव भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर किये जाने चाहिए। इस मौके पर सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने गरीबी का मुद्दा उठाया और इसे मिटाने के लिए लगातार सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों और कल्याणकारी परियोजनाओं का उल्लेख किया।