नई दिल्ली। भारत देश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। गूगल सर्च में भी महिलाओं से संबंधित अपराध में भारत पहले नंबर पर दिखाई देता है। इस सूची में पाकिस्तान छठें नंबर पर आ रहा है। यानि महिलाओं के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित पाकिस्तान है। हालांकि छह माह पहले आई लंदन स्थित एक एनजीओ की रिपोर्ट में इसी बात का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट में निर्भया केस का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से भारत की राजधानी में एक बस में युवती के साथ रेप हुआ और बाद में उसकी मौत हो गई। हाल ही में हैदराबाद की डॉक्टर की रेप और हत्या के मामले ने इन जख्मों को फिर से हरा कर दिया है।
टॉप 10 अनसेफ कंट्रीज में सबसे उपर भारत- व्यक्तिगत रूप से ऑनलाइन आयोजित किए गए सर्वेक्षण में महिलाओं के मुद्दों पर 548 विशेषज्ञों को यूरोप, अमरीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से फैलाया गया। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में शिक्षाविद्, स्वास्थ्य कर्मचारी और एनजीओ कार्यकर्ता, सहायता और विकास पेशेवर और सामाजिक टिप्पणीकार शामिल थे। सर्वे का आधार स्वास्थ्य देखभाल, आर्थिक संसाधन, सांस्कृतिक या पारंपरिक प्रथाओं, यौन हिंसा और उत्पीडऩ, गैर-यौन हिंसा और मानव तस्करी जैसे टॉपिक शामिल किए गए थे। लंदन के इस एनजीओ की रिपोर्ट के बाद चौकाने वाला खुलासा हुआ कि महिलाओं के लिए सबसे अनसेफ देश भारत है। इस सूची में भारत पहले नंबर पर है। इसके बाद अफगानिस्तान, सीरिया, सोमालिया, सउदी अरब, पाकिस्तान, कांगो, यमन, नाइजीरिया और दसवें नंबर पर यूनिटाइडेट स्टेट ऑफ अमरीका है।
महिलाओं के साथ साढ़े तीन लाख से ज्यादा अपराध- हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2017 में देश में हुए अपराधों के आंकडे पेश किए हैं। इनमें महिला संबधी अपराधों की गणना की जाए तो वह लाखों में है। एक साल के दौरान देश में महिलाओं और युवतियों पर से अपराध के 3 लाख 45 हजार 989 आंकडे दर्ज हुए हैं। इनमें 32 हजार 334 मुकदमें बलात्कार के हैं। 227 मुकदमें गैंगरेप और रेप करने के लिए हत्या के हैं। तेजाब के हमले करने के 148 मुकदमें दर्ज हुए हैं। अपहरण के 68 हजार से ज्यादा मामले और दहेज हत्या के 7 हजार 838 मुकदें दर्ज हुए हैं। पति और रिश्तेदारों द्वारा मारपीट के एक लाख सात हजार से भी ज्यादा मामले सिर्फ एक साल मे थाने पहुंच हैं। महिलाओं से हुए अपराध साल 2015 में तीन लाख ग्यारह हजार से ज्यादा और साल 2016 में तीन लाख 22 हजार से ज्यादा थे।
निर्भया केस के बाद बिगड़ी हालात- रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक युवती के साथ रेप के बाद उसे पीटा गया जिस कारण उसकी मौत हो गई। बस में अन्य सवारियां भी थी, लेकिन किसी ने युवती को नहीं बचाया। यह वही निर्भया केस था जिसके चारो आरोपियों को अब फांसी का रास्ता दिखाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि चारों के लिए फंदे तैयार कर लिए गए हैं और चारों को जल्द से जल्द फांसी देने की तैयारी की जा रही है।
रिपोर्ट पर संशय भी, सोशल मीडिया पर हुआ विवाद- हालांकि लदंन स्थित इस एनजीओ की 2018 की इस रिपोर्ट पर देश में हंगामा भी मचा। कई नेताओं और महिला संगठनों ने दलील दी है कि इस तरह से चुनिंदा लोगों से बातचीत कर देश के अपराध के आंकडे प्रकाशित करना सही नहीं है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर वाद और विवाद का लंबा दौर भी चला।