मुंबई। NCP अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 2014 में बीजेपी को बाहर से समर्थन देने की उनकी पेशकश एक “राजीतिक चाल” थी, जिसका मकसद शिवसेना को बीजेपी से दूर रखना था। पवार ने स्वीकार किया कि उन्होंने ‘‘बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए” यह कदम उठाया था। लंबे समय से सहयोगी रही बीजेपी और शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर पिछले साल के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद राहें जुदा कर ली थीं। उन्होंने शिवसेना की तारीफ करते हुए कहा कि उस पर विश्वास किया जा सकता है। राजनीतिक उनके बयानों के गहरे सियासी मायने निकाल रहे हैं।
शऱद पवार ने आज पार्टी के 22वें स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ फेसबुक पर जुड़कर उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तीन दलों ने मिल कर इस सरकार का गठन किया है जो बहुत अच्छा काम कर रही है। कुछ लोग सरकार के भविष्य पर सवाल उठा रहे हैं जिनके कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि शिव सेना और एनसीपी के साथ मिल कर काम करने पर किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए। पवार ने कहा, ‘लेकिन शिवसेना ऐसा दल है जिस पर भरोसा किया जा सकता है। बालासाहब ठाकरे ने इंदिरा गांधी के प्रति अपने वचन का सम्मान किया था। सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी और अगले लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी।’
एनसीपी नेता ने कहा कि कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण ही पार्टी आज इतना लंबा सफर पूरा करने के बाद अपना 22वां स्थापना दिवस मना रही है। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं और महाराष्ट्र कोविड की समस्या से छुटकारा पा रहा है। उन्होंने शिव सेना के शिव भोजन थाली योजना की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे लोग मराठा आरक्षण और अन्य पिछड़े वर्ग की समस्याओं का निराकरण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “ हमें स्थानीय स्व-सरकारी निकायों में मराठा आरक्षण, ओबीसी आरक्षण की समस्याओं को हल करना होगा। सत्ता को और अधिक हाथों में जाना चाहिए। सत्ता एक स्थान पर रहने से भ्रष्ट हो जाती है। यदि सत्ता भ्रष्ट नहीं होना चाहती है, तो उसे अधिक लोगों के पास जाना चाहिए, समाज के हर वर्ग को यह महसूस करना चाहिए कि हम सत्ता के हिस्सेदार हैं। ”