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तीसरी लहर में दवाइयों की पूछपरख नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 20 2022 8:07PM | Updated Date: Jan 20 2022 8:07PM
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भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर जिन दवाइयों की कालाबाजारी हो रही थी, उन्हीं उन्हीं दवाओं की तीसरी लहर में कोई पूछपरख नहीं हो रही है। दूसरी लहर में ये दवाएं मुंहमांगे दाम पर बड़ी मशक्कत से मिल रही थीं और इनके लिए लोग हजारों रुपए खर्च कर रहे थे। इस बार जो दवाएं 3 से 5 दिन तक कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही हैं उनका कुल खर्च 250 रुपए से ज्यादा नहीं है, यानी मरीज को हर दिन 50 रुपए का डोज 5 दिनों तक दिया जा रहा है।
 
देश और प्रदेश में कोरोना के आंकड़े भले ही रोजाना बढ़ रहे हैं, ऊंची छलांग मार रहे मगर इस बार सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि तीसरी लहर में मरीजों का इलाज संबंधित खर्च डेंगू, बुखार, उल्टी-दस्त के इलाज से भी कम पड़ रहा है। पहली और दूसरी लहर में जहां मरीजों को मेडिकल जांचों व इलाज पर हजारों रुपए  खर्च करना पड़ रहे थे, वहीं इस बार 250 रुपए में कोरोना के मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में साल 2022 में जो जानलेवा हालात बने थे वह यकीनन पहली और तीसरी लहर की अपेक्षा ज्यादा चिंताजनक और गंभीर थे। सरकारी व निजी हॉस्पिटल सिस्टम ही नहीं, मेडिकल स्टोर, पैथालॉजी लैब्स के सारे मैनेजमेंट फेल साबित हो चुके थे। दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अतिआवश्यक जीवनरक्षक इंजेक्शन, साइरप, दवाइयों का स्टॉक खत्म बताया जा रहा था। फिर जीवनरक्षक दवाइयों के मुंहमांगे दाम वसूले जा रहे थे। कई जगह तो मुंहमांगी कीमत देने के बाद भी इंजेक्शन व दवाइयां नहीं मिल रही थीं, मगर तीसरी लहर में इस बार उन कोरोना मरीजों के लिए दूसरी लहर में इस्तेमाल की जाने वाली महंगी दवाइयों की जरूरत ही नहीं लग रही।
 
पांच हजार भी कम पड़ते थे दूसरी लहर में जिन दवाइयों का बोलबाला था इस बार उनकी जरूरत ही नहीं पड़ रही है। दवा बाजार में एक मेडिकल एजेंसी के संचालक ने बताया कि पिछले साल दूसरी लहर के दौरान यह दवाइयां कम पड़ गई थीं, क्योंकि कर्फ्यू, लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्टेशन में स्टॉक रास्ते में बार-बार होने वाली चौकिंग की वजह से देरी से पहुंच रहा था। दूसरी लहर में जो दवाइयां मरीजों के लिए संजीवनी बनी हुई थीं, इस तीसरी लहर में उन  दवाइयों के इस्तेमाल की जरूरत ही नहीं पड़ रही। जैसे पिछली लहर में फेबिफ्लू, यानी फेविपिराविर, टोसिलिजुमैब, आइवरमेकटिंन, रेमडेसिविर, स्टेरॉइड्स की सबसे अत्यधिक मांग थी। इनकी कुल कीमत वैसे तो लगभग 5000 रुपए थी, मगर अतिरिक्तक्तकीमत, यानी कालाबाजारी उस समय की परिस्थिति पर निर्भर थी। कुछ दवा व्यापारियों ने पूरे दवा विक्रेताओं के नाम पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
 
50 रुपए की दवाई 5 दिन
मेडिकल स्टोर के संचालक ने बताया कि इस तीसरी लहर में कोरोना पॉजिटिव के इलाज के लिए 1 दिन का डोज 50 रुपए में पड़ता है। इसमें डॉक्सीसाइक्लीन, एंजिथ्रोमाइसिन, एंटीकोल्ड, जिंक कफ साइरप, विटामिन सी इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 5 दिन की इन दवाइयों की कीमत 250 रुपए है। तीसरी लहर के दौरान कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ दवा बाजार से लेकर मेडिकल स्टोर्स पर इन्हीं दवाओं की मांग बढ़ गई है।

 

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