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CM शिवराज ने ओबीसी मामले में लिखा कमलनाथ को पत्र

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 2 2020 3:42PM | Updated Date: Aug 2 2020 3:43PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण मुहैया कराने के संबंध में उच्च न्यायालय में दायर याचिका के परिप्रेक्ष्य में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि पूर्ववर्ती सरकार ने स्थगन समाप्त कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। चौहान ने कमलनाथ को यह पत्र 31 जुलाई को लिखा है, जो मीडिया के सामने आज आया। इसमें चौहान ने कमलनाथ द्वारा उन्हें (चौहान को) 18 जुलाई को लिखे गए पत्र का हवाला दिया है।
 
चौहान ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष तक इस प्रकरण में ऐसे कोई प्रयास नहीं किए, जिससे स्थगन समाप्त हो और आरक्षण के निर्णय को क्रियान्वित किया जा सकता। चौहान ने दो पेज के पत्र के अंत में लिखा है 'आप सहमत होंगे कि आपके नेतृत्व की सरकार ने इस याचिका में वह गंभीरता नहीं दिखायी, जो आवश्यक थी। जहां तक मेरी सरकार का प्रश्न है, हम इस याचिका में प्रभावी रूप से अपना पक्ष रखने के लिए कटिबद्ध हैं, ताकि पिछड़ा वर्ग के हितों का समुचित संरक्षण सुनिश्चित हो सके।'
 
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि उनकी सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के कल्याण के लिए कटिबद्ध रही है। विगत चार माह में कोविड संकट के दौरान सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों से यह प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखायी पड़ती है। चौहान ने उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत याचिका का जिक्र किया है, जिसमें पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गयी है।
 
चौहान ने कहा कि 14 मार्च से 19 मार्च 2019 तक याचिका में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा कोई वाद प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके कारण न्यायालय ने 19 मार्च को पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाए जाने के निर्णय को स्थगित कर दिया। मुख्यमंत्री ने लिखा है 19 मार्च को भी न्यायालय के समक्ष तत्कालीन सरकार के महाधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए।
 
यह कांग्रेस सरकार की गंभीर लापरवाही एवं उदासीनता ही थी कि लगभग आठ माह तक न्यायालय के समक्ष जवाब दावा प्रस्तुत नहीं किया गया तथा स्थगन को भी समाप्त कराने का भी कोई प्रयास नहीं किया गया। चौहान ने कमलनाथ को संबोधित करते हुए लिखा 'और यह भी कि आपने माननीय न्यायालय के समक्ष यह कथन किया कि लोक सेवा आयोग की नियुक्तियों को बिना न्यायालय की पूर्वानुमति के अंतिम नहीं किया जाएगा।
 
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