यह गुहार परिवहन विभाग टीम के कर्मचारियों से सरकारी बस स्टैंड पर दो मासूम बालक लगाने लगे। इन बालकों के चेहरों पर छाए उदासीन भाव को देखकर परिवहन कर्मचारी समझ गए कि यह अपनों से बिछड़े हुए बालक है। जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी मम्मी और चाचा तीन दिन पहले रेलवे स्टेशन पर छोड़ गए थे। जब रेलवे स्टेशन से भगाया गया तो वह दोनों बस स्टैंड पर रात में आ गए थे। वह दोनों सागर जिले रहने वाले हैं। दोनों बच्चों को पुलिस ने चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। परिवहन अफसर रविवार की सुबह जनता कफर्यू के दौरान दिल्ली आए मजदूरों को छतरपुर जाने की व्यवस्था कर रहे थे तभी अजय और बिजय दो बच्चे उन्हें बस स्टैंड पर मिले।
यह दोनों बच्चों से जब परिवहन टीम ने नाम और पता के बारे में पूछा तो बड़ा बालक अजय सिर्फ यह बात सका कि वह सागर जिले के डूड़ा गांव का रहने वाला है। उसकी मम्मी का नाम गीता और चाचा राहुल है। तीन दिन पहले वह रेलवे स्टेशन पर आए थे। मम्मी और चाचा यह कहकर गए है कि मजदूरी करके दो दिन में आ जाएंगे, तुम लोग यहीं रहना। तीन दिन से दोनों बालक रेलवे स्टेशन पर भींख मांगकर पेट भर रहे थे। शनिवार की रात में पुलिस ने रेलवे स्टेशन से भगा दिया। इसके बाद दोनों बालक बस स्टैंड पर आ गए।
परिवहन अफसरों ने दोनों बालकों को पड़ाव पुलिस के हवाले कर उचित प्रबंधन और घर पर भेजने की बात कही। इसके बाद बस स्टैंड चौकी पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने दोनों बालक को अपनी देखरेख में ले लिया। दोनों बालक से बातचीत कर उनके गांव वालों से संपर्क किया। दोनों बालकों को सुबह पुलिस ने नाश्ते का प्रबंधन किया और शाम तक भेजने की बात कही। दोपहर करीब 12 बजे दोनों बालकों को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया। चाइल्ड लाइन के सुपुर्द होने से पहले दोनों बच्चों के हेल्थ की जांच की गई। अजय व विजय के पिता की मौत करीब 6 साल पहले हो चुकी है। दोनों बच्चों को 4 दिन से खाना मांग कर खाना पड़ रहा है। बच्चों के गांव में जब बताया गया की बच्चे अपनी मां के साथ ही गए थे गांव से।