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आयोग को नतीजे घोषित करने की अनुमति नहीं दी अदालत ने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 28 2020 12:43AM | Updated Date: Feb 28 2020 12:43AM
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जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए के मित्तल और न्यायाधीश वी के शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से विभिन्न पदों के लिए आयोजित परीक्षा के नतीजे घोषित करने की अनुमति आयोग को प्रदान करने से आज इंकार कर दिया। युगलपीठ ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए राज्य में आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने से संबंधित लगभग एक दर्जन याचिकाओं की सुनवायी करते हुए सरकार को राज्य में ओबीसी वर्ग की स्थिति, संख्या और सरकार सेवा में प्रतिनिधित्व समेत विभिन्न आकड़े प्रस्तुत करने के निर्देश भी जारी किए। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भी निर्देश दिया कि वे भी प्रकरण के संबंध में आवश्यक दस्तावेज पेश करें। युगलपीठ ने 28 अप्रैल से याचिकाओं पर लगातार अंतिम सुनवायी के निर्देश जारी किए और कहा कि अंतिम सुनवायी के दौरान कोई दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

राज्य सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढाकर 27 प्रतिशत किये जाने के संबंध में अशिता दुबे सहित एक दर्जन याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गयी हैं। याचिकाकर्ता अशिता दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश पिछले वर्ष मार्च माह में दिए थे। इसके बाद हाल ही में 28 जनवरी को युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों पर ली गई परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश दिया। अंतरिम आदेश पर फिर से विचार करने के लिए सरकार की तरफ से आवेदन दायर किया गया। युगलपीठ ने इस आवेदन की सुनवाई करते हुए पीएससी को निर्देश दिए थे कि वह विभिन्न पदों के लिए चयन प्रकिया जारी रखे, लेकिन चयन सूची जारी नहीं करे।

इस बीच ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के संबंध में याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गयी है। इन मामलों में सुनवायी के दौरान उच्च न्यायालय के समक्ष उच्च न्यायालय प्रशासन अपने विधिवत जवाब में पहले ही कह चुका है कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा। 

 
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