नई दिल्ली। कोरोना वायरस से बचने के लिए पूरे देश में लोगों को वैक्सीनेट किया जा रहा है ताकि भविष्य में बीमारी के खतरे को कम किया जा सके। इसी बीच इटली के शोधकर्ताओं ने बीमारी के बाद शरीर में एंटीबॉडीज को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोविड-19 इंफेक्टेड होने के आठ महीने बाद तक मरीज के खून में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज रहते हैं। एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना को मात दे चुके लोगों में नौ महीनों तक एंटीबॉडी मौजूद रहती है। यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ और इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं की रिसर्च में यह बात सामने आई है।
SARS-CoV-2 से संक्रमित व्यक्तियों में नौ महीनों तक एंटीबॉडी का स्तर बना रहता है। एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक चाहे व्यक्ति में लक्षण दिखे हो या ना दिखे हो, यदि उसमें कोविड-19 का संक्रमण हुआ है तो उसके शरीर में नौ महीनों तक एंटीबॉडी मौजूद रहता है। इटली के यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ और ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह शोध किया है। रिसर्च में SARS-CoV-2 से संक्रमित इटली के वो शहर के 3000 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें फरवरी और मार्च 2020 में एंटीबॉडी की जांच की गई थी। इसके बाद मई और नवंबर में इन लोगों की फिर से एंटीबॉडी की जांच की गई। एंटीबॉडी शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली है जो बीमारी को पनपने नहीं देती।
98 फीसदी लोगों में एंटबॉडी कायम
रिसर्च के नतीजे चौंकाने वाले थे। रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों को कोविड का संक्रमण हुआ था, उन लोगों में से 98।8 प्रतिशत लोगों में नवंबर में भी एंटीबॉडी का स्तर ऊंचा था। रिसर्च में यह भी पाया गया कि जिन लोगों में कोविड के गंभीर लक्षण मौजूद थे और जो लोग बिना लक्षण कोविड पॉजिटिव हुए थे, दोनों में एंटीबॉडी का स्तर समान रूप से मौजूद था। इस रिसर्च के नतीजे को 'नेचर कम्युनिकेशन' में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने इसका भी विश्लेषण किया कि घर के एक सदस्य के संक्रमित होने की स्थिति में और कितने लोग संक्रमित हुए। इसमें पाया गया कि चार में से एक मामले में किसी परिवार में एक के संक्रमित होने पर दूसरे सदस्य भी संक्रमित हुए।
दोबारा संक्रमित होने पर ज्यादा एंटीबॉडी
रिसर्च की प्रमुख लेखक इंपीरियल कॉलेज की इलारिया डोरिगटी ने कहा, 'हमें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले लोगों में एंटीबॉडी का स्तर अलग-अलग हो। इससे संकेत मिलता है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, लक्षण या बीमारी की गंभीरता पर निर्भर नहीं करती है। हालांकि लोगों में एंटीबॉडी का स्तर अलग-अलग रहा। रिसर्च में पाया गया कि कुछ लोगों में एंटीबॉडी का स्तर बढ़ गया इससे संकेत मिला कि वायरस से वे दोबारा संक्रमित हुए होंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ के प्रोफेसर एनिरको लावेजो ने कहा, मई की जांच से पता चला कि 'वो' शहर की 3।5 प्रतिशत आबादी संक्रमित हुई। बहुत लोगों को यह भी नहीं पता था कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे क्योंकि उनमें किसी तरह के लक्षण नहीं थे।