कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। इस खतरनाक बीमारे से अब तक 8,467,178 संक्रमित हो चुके हैं और 451,954 लोगों की मौत हो गई है। चीन से निकली इस महामारी से सबसे ज्यादा अमेरिका प्रभावित हुआ है। यहां मरने वालों की संख्या 119,941 जबकि संक्रमितों की संख्या 2,234,471 हो गई है। इसके बाद सबसे ज्यादा मामले ब्राजील में 960,309, रूस में 553,301 और चौथे स्थान पर भारत में 367,264 हो गई है।
मास्क पहनकर खांसने से फिल्टर की क्षमता हो सकती है कम
कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और इससे बचने के लिए एक्सपर्ट्स मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। इस बीच वैज्ञानिकों ने कहा है कि चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा कम होता है, लेकिन बार-बार खांसने से उसकी फिल्टर करने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए एअर-फिल्टर्स और फेस शील्ड से लैस हेल्मेट समेत निजी सुरक्षा उपकरण पहनने की सिफारिश की गई है।
साइप्रस में यूनिवर्सिटी ऑफ निकोसिया के तालिब दिबुक और दिमित्रिस द्रिकाकिस समेत वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर मॉडलों का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि जब मास्क पहनने वाला कोई शख्स बार-बार खांसता है तो खांसने से गिरने वाली छोटी-छोटी बूंदों के प्रवाह की क्या प्रवृत्ति होती है।
खांसने से 5 सेकंड में 18 फुट तक जाती है बूंदें : इससे पहले एक अध्ययन में पाया गया कि जब बिना मास्क पहने व्यक्ति खांसता है तो उसकी लार की बूंदें पांच सेकंडों में 18 फुट तक की दूरी तय कर सकती हैं। पत्रिका ‘फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स’ में प्रकाशित इस अध्ययन में चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क की फिल्टर की क्षमता का अध्ययन किया गया।
मास्क से कम हो सकता है बूंदों के फैलने का खतरा : अध्ययन के अनुसार मास्क से हवा में लार की बूंदों के फैलने का खतरा कम हो सकता है लेकिन बार-बार खांसने से उसकी क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यहां तक कि मास्क पहनने पर भी लार की बूंदें कुछ दूरी तक गिर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मास्क न पहनने पर लार की बूंदों के गिरने की दूरी दोगुनी हो जाती है।
लॉकडाउन लागू करने के साथ-साथ मास्क के व्यापक स्तर पर उपयोग से कोरोना वायरस को फिर से जोर पकड़ने रोका जा सकता है। पत्रिका ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी ए’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि केवल लॉकडाउन लागू करने से कोरोना वायरस को दोबारा जोर पकड़ने से नहीं रोका जा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि यदि बड़ी संख्या में लोग मास्क का प्रयोग करते हैं तो संक्रमण की दर को नाटकीय ढंग से कम किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि घर में बने कम प्रभाव वाले मास्क भी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता रिचर्ड स्टुटफ्रॉम ने कहा, ‘‘हमारा विश्लेषण इस बात का समर्थन करता है कि लोग तत्काल और विश्वव्यापी स्तर पर मॉस्क का उपयोग करें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि लोग सामाजिक दूरी बनाए रखने और कुछ हद तक लॉकडाउन के साथ-साथ मास्क का व्यापक स्तर पर उपयोग करते हैं तो यह वैश्विक महामारी से निपटने का स्वीकार्य तरीका बन सकता है और टीका आने से पहले भी आर्थिक गतिविधियां पुन: आरंभ की जा सकती हैं।’’