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Facebook-Whatsapp की प्राइवेसी पॉलिसी मामले में CBI के नोटिस पर रोक का आग्रह किया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 21 2021 4:09PM | Updated Date: Jun 21 2021 4:10PM
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नई दिल्ली। फेसबुक और व्हाट्सऐप ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के नोटिस पर रोक लगाए, जिसमें उनसे ऐप की नई निजता नीति की जांच के सिलसिले में कुछ सूचनाएं देने के लिए कहा गया है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंबानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर आदेश जारी करेगी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि चूंकि यह अवकाशकालीन पीठ है, इसलिए यह मामले के गुण-दोष में नहीं पड़ना चाहती है, जबकि प्रमुख याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लंबित हैं।
 
जस्टिस अनूप जयराम भंबानी और जस्टिस जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर आदेश जारी करेगी। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि चूंकि यह अवकाशकालीन पीठ है, इसलिए यह मामले के गुण-दोष में नहीं पड़ना चाहती है, जबकि प्रमुख याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लंबित हैं।
 
बेंच ने कहा कि हम आदेश पारित करेंगे। मामला नौ जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा (मुख्य याचिकाओं के लिए यह तारीख पहले से तय है)। मामला फेसबुक और वॉट्सऐप की एकल न्यायाधीश की बेंच के आदेश के खिलाफ अपील से जुड़ा हुआ है। एकल न्यायाधीश ने ऐप की नई निजता नीति के खिलाफ सीसीआई की जांच के आदेश के खिलाफ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
 
हाईकोर्ट ने पहले अपील पर नोटिस जारी किए थे और केंद्र से जवाब मांगा था। फेसबुक एवं वॉट्सऐप ने नई याचिकाएं दायर कर सीसीआई के चार जून के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें उनसे जांच के लिए कुछ सूचनाएं देने के लिए कहा गया था।
 
वॉट्सऐप का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि समस्या यह है कि उन्हें चार जून को नया नोटिस जारी किया गया और उस पर जवाब देने की अंतिम तारीख आज यानी 21 जून है।
 
उन्होंने कहा कि प्राइवेसी पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है और हाईकोर्ट में इस पर कई याचिकाएं दायर हैं तथा सरकार भी इस पर गौर कर रही है। फेसबुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामला यहां अधिकार क्षेत्र का है और यह सही नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट मामले पर गौर कर रहा है।
 
सीसीआई की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि जांच के चरण में सूचनाएं दिए जाने का यह मतलब नहीं है कि सीसीआई आदेश दे रहा है और नोटिस जांच के सिलसिले में जारी हुआ है, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक नहीं लगाई है और उन्हें यह कोई पहला नोटिस जारी नहीं हुआ है।
 
अदालत ने जब पूछा कि सीसीआई द्वारा नोटिस जारी करने की जल्दबाजी क्या थी तो लेखी ने कहा कि सवाल जल्दबाजी का नहीं है बल्कि यह मामला खुद लंबी प्रक्रिया वाला है। उन्होंने कहा कि जब तक सीसीआई के महानिदेशक की तरफ से रिपोर्ट नहीं सौंपी जाती तब तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
 
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