नई दिल्ली। सरकारी खजाने से गणेश चतुर्थी आयोजित करने और इस संबंध में विज्ञापन जारी करने के दिल्ली सरकार के कदम को गैरकानूनी घोषित करने की अपील पर वीरवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने दो टूक कहा कि याचिका जल्दबाजी में बिना उचित तथ्यों के आधार पर दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि राज्य द्वारा धार्मिक पूजा का आयोजन करना और उसका प्रचार करना तथा राज्य के खजाने से उसके लिए टीवी चैनलों में विज्ञापन देना अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) और 14 (क़ानून के समक्ष बराबरी) और धर्मनिरपेक्षता के मूल ढांचा का उल्लंघन है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायाधीश ज्योति ङ्क्षसह ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और उन्हें उचित मंच के समक्ष कानून के अनुसार उचित तथ्यों पर आधारित ताजा याचिका दायर करने की अनुमति प्रदान की। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जिस आधार पर याचिका दायर की उन्होंने उस विज्ञापन को रिकॉर्ड में नहीं रखा।
याचिकाकर्ता वकील मनोहरलाल शर्मा ने कहा कि उन्हें मीडिया के जरिए यह जानकारी मिली थी कि दिल्ली सरकार लोगों को सरकार द्वारा 10 सितंबर को आयोजित गणेश पूजा उत्सव में शामिल होने का निमंत्रण दे रही है। दिल्ली राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने बुधवार को एक आदेश में कहा था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिये गए निर्देशों के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर गणेश चतुर्थी उत्सव के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।