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करूणा, सहानुभूति, समावेश और लोकतंत्र का आधार है रामायण : वेंकैया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 2 2020 12:15PM | Updated Date: Aug 2 2020 12:20PM
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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रामायण को करुणा, सहानुभूति, समावेश, शांतिपूर्ण सहस्तित्व तथा लोकतंत्र का आधार करार देते हुए कहा है कि  यही  हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के लिए अनुकरणीय मानदंड बन सकता हैं और इइसे हमें  अपने राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करना चाहिए।
 
नायडू ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर रविवार को लिखे एक लेख में कहा कि इस सुअवसर पर, जब पांच अगस्त 2020, को श्री राम के प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ करेंगे, और जन आकांक्षाओं के अनुरूप एक वैभवशाली मंदिर का निर्माण करेंगे, हम भारत के इस महा ग्रंथ रामायण के सार्वकालिक, सार्वभौमिक संदेश को समझें, उसका प्रसार करें, उन आधारभूत मूल्यों और मर्यादाओं से अपने जीवन को समृद्ध करें।
 
उन्होंने कहा , " भारत के विश्व दर्शन की व्यापकता को समझने के लिए आइए भारत के इस आदि महाकाव्य रामायण का अध्ययन करें, हमारे संस्कारों, जीवन मूल्यों, हमारी संस्कृति को पहचानने के लिए रामायण को पढ़ें। अपनी भाषाई और वैचारिक समृद्धि को समझने के लिए रामायण का अनुशीलन करें।
 
उन्होंने कहा कि  करुणा, सहानुभूति, समावेश, शांतिपूर्ण सहस्तित्व पर आधारित  जन केंद्रित लोकतांत्रिक राज्य जिसमें लोगों को बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जाता था, यही राज्य राष्ट्रीय प्रयासों के लिए अनुकरणीय मानदंड और प्रेरणा बन सकता है कि हम समाज में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करें। इससे  मार्गदर्शन हो सकता है और  राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।
 
 

 

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