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बेटी का सपना पूरा हो इसलिए परिवार ने नहीं दी पिता के मौत की खबर, अग्निवीर हिशा बघेल की इमोशनल स्टोरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 30 2023 6:04PM | Updated Date: Mar 30 2023 6:04PM
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हिशा बघेल छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हैं। उनके पिता ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। 3 मार्च को उनके पिता की मौत हो गई। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। बेटी का सपना पूरा हो इसलिए परिवार ने नहीं दी पिता के मौत की खबर, छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हिशा बघेल की इमोशनल स्टोरी

हिशा छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हैं। लगभग 2,600 रंगरूटों के पहले बैच में 273 महिला भी शामिल थीं। इस बैच ने 28 मार्च को ओडिशा के आईएनएस चिल्का में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा किया और भारतीय नौसेना में शामिल हुईं। हिशा के की सफलता पर उनकी मां बेहद खुश हैं। (फोटो- हिशा बघेल और उनके मां की) हिशा बघेल का परिवार दुर्ग जिले से लगभग 15 किमी और राजधानी रायपुर से 50 किमी दूर बोरीगार्का गांव में रहता है। हिशा के बड़े भाई कोमल बघेल ने हमारे सहयोगी अखबार TOI को बताया, "वह अप्रैल के दूसरे सप्ताह में घर आ रही है। हमने अभी तक उसे अपने पिता की मृत्यु के बारे में नहीं बताया है। हम नहीं चाहते थे कि उसके ट्रेनिंग प्रभावित हो। इंडियन नेवी का सपना हिशा और पिताजी ने एक साथ देखा था।

हम नहीं चाहते थे कि पिता की मौत की खबर सुनकर उसका सपना प्रभावित हो। 3 मार्च, 2023 को हिशा के पिता संतोष बघेल की मौत हो गई। उन्हें कैंसर था। जब पिता की मौत हुई तब हिशा की ट्रेनिंग का लास्ट फेज चल रहा था। उसके बाद परिवार ने फैसला किया कि वो हिशा को इस दुखद समाचार के फैसले से दूर रखेंगे। पिता के मौत की जानकारी नहीं होने से वो अपनी ट्रेनिंग पूरी कर सकेगी।

संतोष बघेल अपना घर चलान के लिए ऑटो चलाते थे। 2016 में कैंसर का पता चलने पर उन्हें अपना ऑटो बेटना पड़ा। संतोष पटेल चाहते थे कि उनके बच्चे सेना में शामिल हों। जब उन्हें अग्निवीर योजना के बारे में जानकारी मिली तो उन्हें अपने बेटी को इसके लिए प्रेरित किया। कोमल पटेल ने कहा, हिशा वह एक अच्छी एथलीट थी। वह विशाखापत्तनम में हुए अग्निवीर फिजिकल टेस्ट में पहले नंबर पर आई थी।

2016 में मेरे पिता के बीमार होने के बाद से हमारी आर्थिक स्थिति खऱाब हो गई थी। ज्यादातर पैसे पिता के इलाज में खर्च हो रहे थे। क्योंकि पिता ही हमारे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। कोमल पटेल ने कहा कि भले ही मेरे माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने हमेशा हमें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। तमाम मुश्किलों के बाद आज हिशा ने हमारे पिता के सपने को पूरा कर दिया है।

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