दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लाक के नहाड़ी गांव में ग्रामीणों ने बांस की मदद से उस स्कूल को नया स्वरूप दे दिया है, जिसे नक्सलियों ने साल 2007 में ढहा दिया था। यह सलवा जुडूम का दौर था। नक्सली भयभीत थे कि उनके इलाके के गांवों में स्कूलों के ही पक्के भवन हैं। इन भवनों में सुरक्षा बलों के बैरक बनाए जा सकते हैं। इसके चलते दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले के 186 पक्के स्कूल भवनों को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद नहाड़ी के स्कूल के बच्चों को हितावर गांव में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन ग्रामीण बच्चों को वहां भेजने के लिए तैयार नहीं थे। इसके चलते एक दशक तक यहां के बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई। सुरक्षा बलों के बढ़ते दवाब के बाद नक्सलियों के पीछे हटने से अब इलाके में स्कूल खुलने की संभावना नजर आ रही है। इसे देखते नहाड़ी के ग्रामीणों ने अपने संसाधन और खर्च पर स्कूल भवन तैयार कर लिया है। उनकी इच्छा है कि जल्द से जल्द यहां शिक्षक आएं, ताकि उनके बच्चे भी शिक्षित हो सकें।
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्कूल खोलने इसका विकल्प तलाशा जाने लगा। इससे ग्रामीण इतने उत्साहित हैं कि अपने संसाधनों से खुद ही स्कूल के भवन बना रहे हैं। प्रशासन ने जिला खनिज निधि मद से ऐसे स्कूलों में ज्ञानदूत नियुक्त किये हैं। स्थानीय युवकों को ही ज्ञानदूत बनाया जा रहा है, ताकि बच्चों की शिक्षा में कोई व्यवधान न आए। यह सब तैयारी हुई तो कोरोना ने स्कूल बंद करा दिए। अब नहाड़ी, ककाड़ी जैसे तमाम गांवों में स्कूल बनाकर ग्रामीण बच्चों के पढ़ाई का बंदोबस्त करने में जुटे हैं। स्कूल खोलने का कोई आदेश नहीं मिला है। मोहल्ला क्लास सभी जगह संचालित है। नहाड़ी में जल्द ही स्कूल भवन का निर्माण होगा।