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बंद पड़ी खदानें जल संरक्षण के स्रोतों के रूप में होंगी विकसित : भूपेश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 16 2021 12:00AM | Updated Date: Jan 16 2021 12:01AM
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिला कलेक्टरों को अपने जिलों में बंद हो चुकी खदानों को जल-संरक्षण स्रोतों के रूप में विकसित करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बघेल ने कलेक्टरों को जारी निर्देश में कहा है कि जिलों में स्थित समस्त 'उपेक्षित खनन स्थलों' का चिन्हांकन कर उन्हें जल सरंक्षण स्त्रोत में परिवर्तित करने तथा आवश्यकतानुसार अन्य गतिविधियां आरम्भ करने की कार्ययोजना एक माह के अन्दर तैयार करें। 

इस कार्य में होने वाले व्यय की व्यवस्था नरेगा, डीएमएफ, सीएसआर, पर्यावरण एवं अधोसरंचना मद एवं अन्य विभागीय योजनाओं में उपलब्ध आबंटन से की जा सकती है। उन्होने कहा कि राज्य में दशकों से कोयला, लौह अयस्क, बाक्साइट, डोलोमाइट, लाईम स्टोन, मुरूम, गिट्टी इत्यादी के खनन से इन खनिजों के अनेक भंडार समाप्त होने के कारण उन खनन स्थलों को उपेक्षित हालत में छोड़ दिया गया है। 

ऐसे उपेक्षित खनन स्थलों में आये दिन दुर्घटनाएं हो रही है, जिनसे जान-माल का नुकसान हो रहा है। बघेल ने सभी जिला कलेक्टरों से अपेक्षा व्यक्त की है कि आगामी 01 अप्रैल के पूर्व उनके जिलों में स्थित खनन स्थलों के जीर्णोद्धार का कार्य आरम्भ किया जाये तथा वर्षा ऋतु के पूर्व कार्य पूर्ण करने का प्रयास किया जाये ताकि वर्षा ऋतु में उन स्थलों पर जल संग्रहण आरम्भ हो सके।

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