25 Apr 2024, 11:24:09 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Business

टेलीकॉम विधेयक है उपभोक्ता सुरक्षा, इन्नोवेशन और रीस्ट्रकचरिंग का रोडमैप : वैष्णव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 23 2022 4:06PM | Updated Date: Sep 23 2022 4:06PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली । संचार, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि भारतीय टेलीकॉम नीति 2020 के जारी मसौदे में इस उद्योग के लाभ के उपायों के साथ ही उपभोक्ता सुरक्षा , इन्नोवेशन और रीस्ट्रक्चरिंग का राेडमैप तैयार होगा। इसके साथ ही इसके बल पर भारत को टेलीकॉम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता के तौर पर उभराने पर जोर दिया गया है। वैष्णव ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में नीति के मसौदे के मुख्य बिन्दुओं का उल्लेख करते हुये कहा कि देश में दूरसंचार को संचालित करने वाले कानूनों भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ वायर्स (अवैधानिक कब्जा) अधिनियम 1950 के स्थान पर दूरसंचार विधेयक 2022 को लाया जा रहा हे और इसके मसौदे पर हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की गयी है।
 
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक के प्रावधान पूर्ववर्ती तिथि से प्रभावी नहीं होंगे और टलीकॉम कंपनियां वर्तमान के प्रावधानों को यथास्थिति में जारी रख सकते हैं या वे नये विधेयक के प्रावधानों को भी चुन सकते हैं। इस विधेयक में स्पेक्ट्रम का आवंटन सिर्फ और सिर्फ नीलामी के माध्यम से किये जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि सरकारी प्रक्रियाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी की आवश्यकता नहीं रहेगी। इसके तहत टेलीकॉम सेवाओं और टेलीकॉम नेटवर्क के लिए ही सिर्फ लाइसेंस की जरूरत होगा। किसी भी तरह से कॉल की सेवायें देने वालों को पंजीयन करना होगा और कॉल रिसीवर को कॉलर की पहचान की सुविधा भी प्रदान करनी होगी ताकि धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिल सके।
 
उन्होंने कहा कि डिजिटल सेवाओं के लिए टेलीकॉम प्रमुख गेटवे है। प्रौद्योगिकी में हो रहे बदलाव के कारण भी आधुनिक कानून की जरूरत है। इसके साथ ही स्पेक्ट्रम, आरओडब्ल्यू और इंसोल्वेंसी आदि के लिए विशेष वैधानिक फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नये विधेयक के प्रावधानों के कानूनी रूप लेने के बाद भी वर्तमान लाइसेंस जारी रहेंगे, वर्तमान पंजीयन भी यथावत रहेंगे और वर्तमान स्पेक्ट्रम की यथावत रहेगा। वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य न्यूनतम और प्रभावित नियमन, नियामकीय निश्चितता, आरओडब्ल्यू के लिए सशक्त तंत्र, उपभोक्ताओं की सुरक्षा, इन्नोवेशन और रोजागार को प्रोत्साहन देना है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने के लिए विस्तृत सलाह मशविरा, वैश्विक बेहतर प्रैक्सिटों का विस्तार से अध्ययन, सरल, अवरोध प्रावधानों को हटाने के साथ ही आगे के विचार विर्मश का मार्ग भी रखा गया है।
 
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार विधेयक की भाषा बहुत सरल रखी गयी है ताकि कोई भी व्यक्ति इसको आसानी से समक्ष सके। इसमें उपभोक्ता सुरक्षा के लिए केवाईसी का प्रावधान किया गया है और ग्राहकों से भी सही केवाईसी देने की अपेक्षा की गयी है। इसके साथ ही डू नॉट डिस्टर्ब सिस्टम भी रहेगा। उन्होंने कहा कि लाइसेसिंग फ्रेमवर्क के तहत टेलीकॉम सेवाओं , टेलीकॉम नेटवर्क के लिए लाइसेंसिंग की जरूरत होगी जबकि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पंजीयन का प्रावधान किया जा रहा है। अभी वायरलेस उपरकणों के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है लेकिन अब नये विधेयक में इसके लिए सिर्फ प्राधिकार की जरूरत रह जायेगा।
 
उन्होंने कहा कि विधेयक में स्पेक्ट्रम सुधार को कानूनी रूप दिया जा रहा है क्योंकि स्पेक्ट्रम कभी भी समाप्त नहीं होने वाला है। इसके मद्देनजर स्पेक्ट्रम रिफ्रेमिंग, शेयरिंग, ट्रेडिंग, लीज आदि के साथ ही प्रौद्योगिकी एग्नोस्टिक आदि, अनुपयोगी स्पेक्ट्रम सरकार को रिटर्न करने और स्पेक्ट्रम सरेंडर करने के प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इसके प्रावधानों का उल्लेख करने पर अपराध के अनुरूप जुर्माना या सजा का प्रावधान किया गया है। मामूली गलती के लिए कम और बड़े अपराध के लिए अधिक जुर्माना या सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के स्थान पर टेलीकम्युनिकेशन डेवलपमेंट फंड का प्रावधान किया गया है।
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »