नई दिल्ली । आयकर विभाग ने दूरसंचार उत्पाद और सॉफ्टवेयर विकास सेवाएं प्रदान करने वाले एक बहुराष्ट्रीय समूह के दिल्ली, गुरुग्राम और बेंगलुरु के ठिकानों पर छापा मारकर सैंकड़ों करोड़ रुपए की आय छुपाने के सबूत जुटाने का दावा किया है। वित्त मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार इस कंपनी समूह का अंतिम नियंत्रण एक पड़ोसी देश की कंपनी के हाथ में हैं। विज्ञप्ति के अनुसार कंपनी ने समूह से संबंध विदेश की इकाइयों से तकनीकी सेवाओं के लिए बढ़ा-चढ़ाकर भुगतान किया। जबकि उन भुगतानों को प्राप्त करने वाली कंपनी कर अधिकारियों के समक्ष ऊंची दर से प्राप्त भुगतानों का औचित्य की पुष्टि नहीं कर सकी। उस कंपनी ने पांच साल में ऐसी तकनीकी सेवाओं पर 129 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया है।
छापे में इस बात का भी सबूत मिला है कि इस समूह में हाल के वर्षों में अपने से जुड़ी इकाइयों को रॉयल्टी के रूप में 350 करोड़ रुपए का भुगतान दिखाया। आयकर विभाग ने इस तरह के भुगतान की सत्यता पर सवाल उठाए हैं और उसे व्यवसायिक खर्च मानने से इंकार किया है। विज्ञप्ति के अनुसार छापे में इस बात का भी सबूत मिला है कि समूह से जुड़ी एक कंपनी सॉफ्टवेयर विकास सेवा ने अपने काम को हल्के किस्म का दिखाकर लाभ कम दिखा रही थी।
जबकि जांच में यह दिखा कि उसका काम महंगे किस्म का है। इस कंपनी ने इस तरह से करीब 400 करोड़ रुपए की आय कम दिखायी है। आयकर विभाग का कहना है कि इस समूह ने अपने बहीखाते में संदिग्ध ऋण और अग्रिम तथा वारंटी के लिए भुगतान और पुरानी चीजों पर मुल्य की गिरावट के नाम पर भारत में अपनी कर योग्य आय छुपायी है। विज्ञप्ति के अनुसार छापे की कार्रवाई 15 फरवरी को की गयी और इस मामले में आगे जांच चल रही है।