नई दिल्ली। साख निर्धारक तथा बाजार सलाह एवं अध्ययन कंपनी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारक निकट भविष्य में दूर होते नहीं दिख रहे और सरकार को बजट में इस प्रकार निवेश करना चाहिये जिससे रोजगार सृजन हो तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़े। एजेंसी की आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा अनुमानित पाँच प्रतिशत की विकास दर के अगले वित्त वर्ष में मामूली सुधार के साथ 5.5 प्रतिशत पर पहुँचने की उम्मीद है।
उसने कहा है कि विकास दर के 5.5 पाँच प्रतिशत से नीचे रहने का जोखिम बना रहेगा। इंड-रा के अनुसार, अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारक हैं। इनमें बैंकों के ऋण उठाव में सुस्ती और गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण उठान में अचानक तेज गिरावट, आम लोगों की आमदनी और उनकी बचत में कमी आना तथा फँसी हुई पूँजी से जुड़े विवादों के जल्द निपटारे में समाधान और न्याय प्रणाली की विफलता प्रमुख हैं। एजेंसी ने कहा ‘‘हालाँकि वित्त वर्ष 2020-21 में कुछ सुधार की उम्मीद है, लेकिन ये सभी नकारात्मक कारक बने रहेंगे।
इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था कम उपभोग तथा कम निवेश के दौर में उलझी रहेगी। इंड-रा का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए नीतिगत स्तर पर बड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि घरेलू माँग बढ़े और अर्थव्यवस्था ऊँची विकास दर के रास्ते पर दुबारा लौट सके।’’ उसने कहा कि सरकार ने आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए पिछले कुछ समय में कई उपायों की घोषणा की है, लेकिन उनके फायदे मध्यम अवधि में ही सामने आयेंगे।
इसलिए 01 फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं। उसने कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व में गिरावट की आशंका जताते हुये कहा कि इससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। रिजर्व बैंक से प्राप्त अधिशेष राशि को जोड़ने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 3.6 प्रतिशत पर पहुँच सकता है। बजट में इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।