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संगीतबद्ध गीतों के जरिये श्रोताओं के दिलों में अमिट पहचान बनायी चित्रगुप्त ने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 13 2022 2:27PM | Updated Date: Jan 13 2022 2:27PM
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मुंबई। बॉलीवुड में चित्रगुप्त का नाम एक ऐसे संगीतकार के रूप में याद किया जाता है, जिन्होनें लगभग चार दशक तक अपने संगीतबद्ध सदाबहार और रूमानी गीतों से श्रोताओं के दिल पर अमिट पहचान बनायी। बिहार के गोपालगंज जिले में 16 नवंबर 1917 को जन्में चित्रगुप्त श्रीवास्तव की रूचि बचपन से ही संगीत के प्रति थी। चित्रगुप्त ने अर्थशास्त्र तथा पत्रकारिता में स्नाकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।इसके बाद वह पटना में व्याख्याता के रूप में काम करने लगे लेकिन उनका मन इस काम में नही लगा और वह बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाने के लिये मुंबई आ गये। मुंबई आने के बाद चित्रगुप्त को काफी संघर्ष करना पड़ा।इस दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार एस.एन.त्रिपाठी से हुई और वह उनके सहायक के तौर पर काम करने लगे। वर्ष 1946 में प्रदर्शित फिल्म ‘तूफान क्वीन’ से चित्रगुप्त ने बतौर संगीतकार अपने कैरियर की शुरूआत की लेकिन फिल्म की विफलता के कारण वह अपनी पहचान बनाने में असफल रहें।

इस बीच चित्रगुप्त ने अपना संघर्ष जारी रखा। अपने वजूद की तलाश में चित्रगुप्त को फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 10 वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘सिंदबाद द सेलर’ चित्रगुप्त के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुईं। इस फिल्म ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। चित्रगुप्त की मुलाकात महान संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुयी जिनके कहने पर उन्हें उस जमाने के मशहूर बैनर एवीएम की फिल्म शिव भक्त में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म शिव भक्त की सफलता के बाद चित्रगुप्त ए.वी.एम बैनर के तले बनने वाली फिल्मों के निर्माताओं के चहेते संगीतकार बन गये। वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म भाभी की सफलता के बाद चित्रगुप्त सफलता के शिखर पर जा पहुंचे।

इस फिल्म में उनके संगीत से सजा यह यह गीत चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना श्रोताओं के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चित्रगुप्त ने संगीत निर्देशन के अलावा अपने पार्श्व गायन से भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कई फिल्मों के लिये गीत भी लिखे।चित्रगुप्त ने हिंदी फिल्मों के अलावा भोजपुरी,गुजराती और पंजाबी फिल्मों के लिये भी संगीत दिया और सभी फिल्में सुपरहिट साबित हुईं। सत्तर के दशक में चित्रगुप्त ने फिल्मों में संगीत देना काफी हद तक कम कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि अधिक फिल्मों के लिये संगीत देने से अच्छा है, अच्छा संगीत देना। उन्होंने लगभग चार दशक के अपने सिने कैरियर में 150 फिल्मों को संगीतबद्ध किया। अपने संगीतबद्ध गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले महान संगीतकार चित्रगुप्त 14 जनवरी 1991 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।

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