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मेरी फिल्में समाज में वर्जित माने जाने वाले विषयों पर एक सामान्य चर्चा शुरू करने की कोशिश करती हैं : आयुष्मान खुराना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 19 2020 5:57PM | Updated Date: Oct 19 2020 5:58PM
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बॉलीवुड स्टार और थॉट लीडर आयुष्मान खुराना को टाइम मैगजीन ने उनके क्लटर-ब्रेकिंग और चर्चा छेड़ने वाले सोशल सिनेमा के लिए दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया है। अपनी  ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘बधाई हो!’ की सेकंड एनिवर्सरी पर आयुष्मान खुराना दो बड़े बच्चों के बुजुर्ग माता-पिता की एक्सीडेंटल प्रेगनेंसी के बारे में बता रहे हैं और यह खुलासा भी कर रहे हैं कि ऐसी फिल्मों को चुनने के पीछे उनका क्या इरादा रहता है।
 
“अपने सिनेमा के जरिए मैं भारत में टैबू यानी वर्जित चीजों से जुड़ी बातचीत को नॉर्मल बनाने की कोशिश करता रहा हूंI डेब्यू फिल्म ‘विकी डोनर’ से लेकर मेरी अब तक की चुनी गई फिल्मों में आपने गौर किया होगा कि मैंने बदलाव की जरूरत को लेकर समाज के साथ रचनात्मक बातचीत शुरू करने का प्रयास किया है।
 
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहते हैं, “मैंने गहराई से महसूस किया है कि सिनेमा के माध्यम से हम नजरअंदाज किए जा रहे महत्वपूर्ण विषयों की ओर नजर दौड़ाने का आग्रह अपने समाज से कर सकते हैं। हमारा देश शर्मीला था, अब भी है और इसकी अपनी खूबसूरती भी है। लेकिन जिस तरह से मेरे देशवासियों ने सिनेमा का मेरा वाला स्टायल सर-आंखों पर बिठाया है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इसी बात को लेकर होती है।“
 
एक के बाद एक लगातार आठ सुपरहिट फिल्में देने वाले आयुष्मान का कहना है कि उनकी प्रोग्रेसिव और आगे की सोच रखने वाली सोशल इंटरटेनर फिल्मों को दर्शकों का जो प्यार मिला है, वह बेहद उत्साहजनक रहा है। आयुष्मान अपनी इस राय पर कायम हैं कि ‘बधाई हो!’ के जरिए वह इस बात को हाईलाइट करना चाहते थे कि पैरेंट्स के बीच होने वाले शारीरिक प्रेम को लेकर नाक-भौं नहीं सिकोड़ना चाहिए।
 
“उनका प्यार इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि हमारा समाज गहराई तक जड़ें जमा कर बैठी समस्याओं को नॉर्मल बनाना चाहता है और एक आर्टिस्ट के तौर पर यह मेरे लिए सबसे बड़ी मान्यता है। ‘बधाई हो!’ फिल्म के सहारे मैंने हमारे पैरेंट्स की सेक्स से जुड़ी इच्छाओं को नॉर्मलाइज करने की कोशिश की थी और इसमें कुछ गलत नहीं है। बॉलीवुड के लिए यह स्टोरीलाइन निराली और असाधारण थी लेकिन इस फिल्म का बनना जरूरी था,”- कहते हैं आयुष्मान।

 

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