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मनरेगा में आवश्यकतानुसार बनेंगे नए जॉब कार्ड

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 8 2020 12:32AM | Updated Date: May 8 2020 12:32AM
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भोपाल। मध्यप्रदेश में मनरेगा में आवश्यकतापुसार नए जॉब कार्ड बनेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्य में मनरेगा के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा बातचीत की। ये श्रमिक पहली बार संबंधित जिले के कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के साथ इस तरह की कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए और मुख्यमंत्री से चर्चा कर सके। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरतमंद को पात्रतानुसार कार्य उपलब्ध करवाया गया है। लोग तकलीफ में न आएं, इसके लिए आवश्यकतानुसार नए जॉब कार्ड भी तैयार किए जाएंगे।

कोरोना संकट के इस दौर में हर जिले में श्रमिकों को काम की जरूरत थी। रेड जोन छोड़कर अन्य इलाकों में इन कार्यों के संचालन के लिए चौहान ने निर्देश दिये थे। श्रमिकों के समक्ष जो रोजी-रोटी का संकट पैदा हुआ था वो मनरेगा कार्यों के संचालन से दूर हो सका है। मनरेगा में जल संरक्षण, कूप निर्माण, तालाब निर्माण, चेक डैम निर्माण सहित स्व-सहायता समूहों और स्वच्छ भारत मिशन के कार्य आज एक बड़े वर्ग के लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स और जिला पंचायत के अधिकारियों से कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनरेगा कार्यों के संचालन पर नजर रखी जाए।

अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करने वाले कोरोना वायरस से सुरक्षित रहते हुए हर जरूरतमंद को काम देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री के कथन - 'जान भी है, जहान भी' के अनुसार दो गज की दूरी बनाकर श्रमिकों के लिए रोजी-रोटी का प्रबंध करना है। मास्क अथवा गमछा उपयोग में लाने और साबुन से हाथ धोने जैसी सावधानियाँ अपनाकर कार्य करने हैं। उन्होंने बताया कि महिला स्व-सहायता समूहों को आठ करोड़ रुपए की राशि का भुगतान हुआ है। मनरेगा में इस समय 14 लाख 64 हजार 969 श्रमिक काम कर रहे हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। प्रदेश की 22 हजार से अधिक पंचायतों में करीब 1 लाख 31 हजार कार्य चल रहे हैं।

उन्होंने अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज वास्तव और सभी जिला पंचायतों के अधिकारियों को बड़ी संख्या में श्रमिकों को कार्य से जोड़ने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वयं की सुरक्षा के साथ पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए श्रमिक कार्य करें। अब कुछ समय कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी।  चौहान को सिंगरौली के सीताराम पाल ने बताया कि वो छत्तीसगढ़ से 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी पैदल चलकर सिंगरौली आ सका।

ये पाँच दिन बहुत कष्टकारी थे। खाने के लिए कुछ न था। यहाँ तालाब का कार्य चल रहा है। जिसमें काम मिलने से रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ। अनाज भी मिला है। दस लोग समूह में दूरी बनाकर काम करते हैं। सीताराम ने बताया कि वो सुरक्षा के लिए गमछे से नाक और मुँह को बंद रखते हैं। उन्होंने खंडवा में अधिकारियों के साथ बैठी रेश्मा से जैसे ही पूछा - कैसी हो बेटी। रेश्मा ने बताया कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन में फंसने के बाद जब अपने गांव आई तो रोजी रोटी की परेशानी थी।

खालवा विकासखंड के जोगीबीड़ा में तीन साइट पर कार्य चल रहे थे। मजदूरी मिल गई। नाला गहरीकरण का काम हो रहा है। अब कोई परेशानी नहीं है। खंडवा के ही श्रमिक रेवा राम ने बताया कि वो भी महाराष्ट्र में एक ईट भट्टे में कार्य के लिए गया था। लॉकडाउन घोषित होने के बाद मुश्किल हो गई। किसी तरह पाँच दिन में खंडवा पहुँचा। यहाँ स्वास्थ्य विभाग ने परीक्षण करवाया और कुछ दिन अलग रहने को कहा। इस बीच परिवार से भी अलग रहा। अन्न का अभाव था। मनरेगा में मजदूरी मिल गई।

काढ़ा भी दिया जाता है। कहते हैं इससे बीमारी नहीं आती। रेवा राम ने मुख्यमंत्री चौहान को संबल योजना लागू करने के लिए बधाई दी। वीडियो कान्फ्रेंस में छिंदवाड़ा जिले के हनुमान ने मुख्यमंत्री को बताया कि तामिया ब्लाक में तालाब का कार्य चल रहा है। मनरेगा में प्रारंभ इस कार्य में 468 लोग काम कर रहे हैं। सभी लोग गमछा जरूर बांधते हैं। बुरहानपुर जिले के मनरेगा श्रमिक गोविंद ने बताया कि उन्हें खंती खुदाई के कार्य से रोजगार मिल रहा है। खकनार के पास सांईखेड़ा में कार्य चल रहा है। अभी 15 दिन में मजदूरी मिल जाती है।

पाँच किलो चावल भी प्राप्त हो गया है। गोविंद ने मुख्यमंत्री के समक्ष सुझाव रखा कि मजदूरी 10 दिन में मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है। बैतूल जिले के बिजेन्द्र ने बताया कि मनरेगा में 150 के आस-पास कार्य चल रहे है। कर्मकार मंडल की ओर से दो बार 1-1 हजार रुपए की राशि मिली है। उज्जवला योजना में लाभ मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि भी मिली है। शौचालय निर्माण में भी सहयोग मिला है। बिजेन्द्र ने मुख्यमंत्री से कहा कि काम करने के स्थान पर पीने के पानी के लिए मटकों की व्यवस्था भी की गई है। सरकार से पूरी मदद मिल रही है।

एक अन्य मनरेगा श्रमिक सुनिल ने बताया कि वह महाराष्ट्र में फंस गया था। भेंसदेही लौटने के बाद 25 अप्रैल को पंचायत में कार्य के लिए आवेदन दिया था। दो दिन बाद ही काम मिल गया। कुल 127 श्रमिक कार्य कर रहे हैं। यहां चेक डैम निर्माण हो रहा है। सुनील ने शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के लिए बधाई देते हुए कहा कि परेशानी के समय में सरकार से हमें पूरी मदद मिल रही है। 

 
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