नई दिल्ली। दुनिया भर में पेट्रोल-डीजल के विकल्प ढूँढा जा रहा है, ऐसे में व्हिस्की इसका विकल्प हो सकती है। जी हां, व्हिस्की के अवशेष से बनाए बायोफ्यूल जिसे बायोब्यूटेनॉल नाम दिया गया है, से कार को टेस्ट किया जा चुका है और यह भविष्य में फॉसिल फ्यूल की जगह ले सकती है। खास बात यह है कि इसके लिए कारों के इंजन को मॉडिफाई करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
ऐसा पहली बार नहीं है कि व्हिस्की को बदलकर और भी कुछ बनाया गया हो। व्हिस्की से बायोब्यूटेनॉल विश्व युध्द 1 के समय भी बनाया जाता था, लेकिन इसका इस्तेमाल विस्फोटक के रूप में किया जाता था लेकिन 1960 के दशक आते आते बायोब्यूटेनॉल का उत्पादन बंद हो गया था। तब तक गैसोलीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गयी थी।