परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने कहा है कि बीएस-VI गाड़ियों के लिए उनके रजिस्ट्रेशन डिटेल्स में हरी पट्टी लगी होगी ताकि उनकी पहचान आसानी से हो सके। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए BS-VI उत्सर्जन मानक एक अप्रैल 2020 से लागू हो चुका है। इसलिए BS-VI वाहनों को लिए अलग से पहचान देने की मांग की जा रही है। दुनिया के दूसरे देशों में BS-VI वाहनों को अलग पहचान चिह्न देने का नियम शुरू हो गया है।
केंद्र सरकार ने वाहन निर्माता कंपनियों से कहा है कि वह 1 अप्रैल से BS-VI उत्सर्जन मानकों के हिसाब से गाड़ियों का निर्माण शुरू कर दें। इसलिए अब यह जरूरी होगा कि थर्ड रजिस्ट्रेशन स्टिकर पर एक सेंटीमीटर की ग्रीन स्ट्रिप का इस्तेमाल हो। यह स्ट्रिप पेट्रोल, डीजल और सीएनजी सभी BS-VI गाड़ियों के लिए इस्तेमाल होगी।
ज्यादातर वाहन निर्माता कंपनियों BS-VI गाड़ियों की मैन्यूफैक्चरिंग की तैयारी पूरी कर ली है। दरअसल BS-VI गाड़ियों से BS-IV गाड़ियों की तुलना में प्रदूषण कम होता है क्योंकि ये गाड़ियां जो ईंधन इस्तेमाल करती हैं उनमें सल्फर की मात्रा कम होती है। ज्यादा सल्फर जलने से वायु प्रदूषण बढ़ता है। देश के पेट्रोल पंपों पर BS-VI ईंधन की बिक्री भी शुरू हो चुकी है।
BS-VI वाहनों के ईंजन में एक एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम होगा, जो हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करेगा। इससे डीजल वाहनों से 70 और पेट्रोल वाहनों से 25 फीसदी तक नाइट्रोजन ऑक्साइड कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। जाहिर है इससे प्रदूषण घटाने में काफी मदद मिलेगी। इस सिस्टम से वाहन निर्माताओं की लागत बढ़ेगी लेकिन वह इसका भार उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं।